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रजनीकांत के लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के एलान के पीछे क्या कारण है?

By विकास कुमार | Updated: February 17, 2019 15:11 IST

रजनीकांत ने बयान जारी कर कहा है, "मेरी पार्टी का आने वाले लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं है. इसलिए किसी को मेरी तस्वीर या रजनी मक्कल मंद्रम के नाम वाले झंडे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

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ठळक मुद्देरजनीकांत को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है.BJP-AIADMK के बीच गठबंधन का एलान होने वाला है.

फिल्म सुपरस्टार रजनीकांत ने एलान किया है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी. रजनीकांत के इस कदम को तमिलनाडु में हाल ही में हुए बीजेपी-एआइएडीएमके गठबंधन को अप्रत्यक्ष समर्थन के रूप में देखा जा रहा है. रजनीकांत को पीएम मोदी के करीबी के रूप में जाना जाता रहा है. लेकिन चुनाव नहीं लड़ने के एलान के साथ ही उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेगी. 

रजनीकांत ने बयान जारी कर कहा है, "मेरी पार्टी का आने वाले लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं है. इसलिए किसी को मेरी तस्वीर या रजनी मक्कल मंद्रम के नाम वाले झंडे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. रजनी फैन क्लब का इस्तेमाल किसी पार्टी के समर्थन या प्रचार के लिए नहीं होना चाहिए."

क्या है BJP-AIADMK गठबंधन फार्मूला 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक तमिलनाडु के अलावा पुडुचेरी के भी एक सीट पर गठबंधन किया जायेगा. कूल मिलकर 40 सीटों पर गठबंधन की रूप-रेखा तय की गई है. तमिलनाडु में लोकसभा की 40 सीटें (पुडुचेरी की भी एक सीट शामिल) हैं और दोनों पार्टियों के बीच 25-15 पर सहमति बनी है. दोनों पार्टियां इस बात पर भी सहमत हैं कि अन्य छोटी पार्टियों को सीटें अपने-अपने हिस्से से देंगी.

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि बीजेपी आठ सीटों पर लड़ेगी, चार सीटें पीएमके को देगी और तीन डीएमडीके को. मकसद साफ है कि बीजेपी तमिलनाडु के रास्ते इस बार दक्षिण भारत में कोई बड़ा चमत्कार की उम्मीद लगाये हुए है. केरल में भी इसी तरह से बीजेपी छोटे दलों से गठबंधन कर सकती है. 

पीएम मोदी और पनीरसेल्वम की नजदीकी 

जयललिता के निधन के बाद जब पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के बीच राजनीतिक तकरार हुआ था तब पीएम मोदी ने ही बीच-बचाव किया था और पार्टी को टूटने से बचाया था. इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि नरेन्द्र मोदी और पनीरसेल्वम की बढ़ती नजदीकियों के मायने हैं जिसका असर लोकसभा चुनाव से पहले मिल सकता है. 

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