Rajasthan Ki Taja Khabar: जजों की कमी से जूझ रहा है राजस्थान हाईकोर्ट, 50 फीसदी पद रिक्त
By धीरेंद्र जैन | Published: April 15, 2020 05:36 AM2020-04-15T05:36:11+5:302020-04-15T05:36:11+5:30
अभी जयपुर और जोधपुर हाईकोर्ट में कुल 4,73,316 केस लंबित हैं और सीजे सहित प्रत्येक के पास औसत 18332 केसों का भार है।
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट लम्बे समय से जजों की कमी को लेेकर जूझ रहा है। गत मार्च में न्यायिक अधिकारी कोटे से 6 जजों की नियुक्ति किये जाने के बाद हाईकोर्ट में जजों की संख्या 27 पर पहुंची थी। लेकिन 31 मार्च को महेन्द्र माहेश्वरी और 11 अप्रेल को जीआर मूलचंदानी के रिटायर होने के साथ ही अब संख्या हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों की कुल संख्या 50 की तुलना में आाधी या 50 फीसदी रह गई है। इसके चलते अब एक-एक जज पर 18332 मामलों को भार है।
राजस्थान हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति जल्द ही नहीं की गई तो आगामी सितम्बर में रिटायर हो रहे जस्टिस अभय चतुर्वेदी के रिटायरमेंट के बाद संख्या 24 ही रह जाएगी।
उल्लेखनीय है कि जयपुर और जोधपुर हाईकोर्ट से 9 वकीलों के नाम जज बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट काॅलेजियम के पास भेजे गए थे लेकिन इनमें से मात्र एक जस्टिस महेन्द्र गोयल की ही नियुक्ति हो सकी है। वहीं वकील कोटे से ही मनीष सिसोदिया का नाम भी जज के लिए 22 जनवरी की काॅलेजिलयम की मीटिंग में स्वीकृत हुआ था लेकिन फिलहाल उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है।
अभी जयपुर और जोधपुर हाईकोर्ट में कुल 4,73,316 केस लंबित हैं और सीजे सहित प्रत्येक के पास औसत 18332 केसों का भार है। यदि सभी स्वीकृत पदों पर नियुक्ति कर दी जाये तब भी प्रत्येक जज के आस औसतन लगभग 9466 मामले रहेंगे।
गौरतलब है कि जिस अनुपात में जज रिटायर हो रहे हैं उसी अनुपात में उनके पदों को भरा नहीं जा रहा जिसके चलते इतना बड़ा अंतर हो गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में भी हाईकोर्ट के पांच जज रिटायर हुए थे लेकिन इस दौरान मात्र तीन जजों की ही नियुक्ति हो सकी। ऐसे में कार्यरत जजों पर हाईकोर्ट मंे लंबित मामलों का भार और अधिक बढ़ना स्वाभाविक है