राजस्थानः भाजपा की शातिर चाल, कांग्रेस को तगड़ा झटका दे सकते हैं ये 'अपने' नेता
By धीरेंद्र जैन | Published: December 1, 2018 06:58 PM2018-12-01T18:58:41+5:302018-12-01T18:58:41+5:30
राजस्थान चुनावः गोपाल गहलोत पिछड़ी माली समुदाय से आते हैं. कांग्रेस की पहली लिस्ट में उन्हें बी.डी. कल्ला से बदला गया, जिसे नाराज होकर गोपाल गहलोत ने पार्टी से अलग जाकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने का फैसला किया.
राजस्थान में 7 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस का चुनाव अभियान चरम पर है. राजस्थान में एक ओर भाजपा सत्ता बचाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस सत्ता में आने के लिए पूरी तरह जुटी हुई है.
दरअसल, इस बार चुनाव में कांग्रेस को अपने ही बागी नेताओं से खतरा है, कांग्रेस पार्टी से कई नेता निष्कासित हुए हैं. चुनाव के ऐन वक्त पार्टी से निकाले जाने से इन नेताओं में कांग्रेस के प्रति घोर असंतोष है. इस विद्रोह की आग को पार्टी रोकने में नाकाम रही है, जिसका राजनीतिक फायदा भाजपा उठा रही है. बीकानेर सीट इसी का उदाहरण है.
बीकानेर की इस सीट से कांग्रेस से निष्कासित जिला अध्यक्ष गोपाल गहलोत बागी नेता के तौर पर चुनावी मैदान में हैं.कांग्रेस ने राज्य मेें कुल 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. कहा जाता है कि मुस्लिम बहुत क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का काफी वर्चस्व दिखता है, हालांकि इस बार इन सीटों पर काफी बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशियों या दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी के उतरने से कांग्रेस के लिए मुश्किल हो गया है.
वहां बागी नेता भी अलग से दिक्कतें पैदा कर रहे हैं. गोपाल गहलोत पिछड़ी माली समुदाय से आते हैं. कांग्रेस की पहली लिस्ट में उन्हें बी.डी. कल्ला से बदला गया, जिसे नाराज होकर गोपाल गहलोत ने पार्टी से अलग जाकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने का फैसला किया.
कांग्रेस का इन बागी नेताओं के तेवर भांपते हुये भाजपा इसका राजनैतिक फायदा उठा रही है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पिछले दिनों बीकानेर में पार्टी के लिए एक जनसभा की और रोड शो के जरिये पार्टी कैडर को मजबूत करने की कोशिश की.