राजस्थानः विधानसभा चुनाव के जीत का जश्न खत्म, चुनावी जंग की तैयारियां होने लगीं शुरू
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 17, 2019 05:42 AM2019-01-17T05:42:01+5:302019-01-17T05:42:01+5:30
इस बार लोस चुनाव में टिकट का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई है और यह उम्मीद की जा रही है कि केन्द्र में भी कांग्रेस के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी.
विस चुनाव में जीत और प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के जश्न का माहौल खत्म हो गया है और सीएम अशोक गहलोत सहित प्रदेश के प्रमुख कांग्रेसी नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इसके तहत पहले चरण में क्षेत्रवार बैठकें आयोजित करके कार्यकर्ताओं से राय जानी जा रही है कि उनके लोस क्षेत्र में कौनसा उम्मीदवार चुनाव जीतने का दम रखता है. इसके साथ ही भावी दावेदारों ने भी अपना पक्ष मजबूती से रखने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.
इस बार लोस चुनाव में टिकट का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई है और यह उम्मीद की जा रही है कि केन्द्र में भी कांग्रेस के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी.
इस संबंध में सीएम अशोक गहलोत का प्रेस को कहना था कि- हम सब मिलकर मैदान में उतर रहे हैं और तैयारियां शुरू कर दी हैं.
सूत्रों के अनुसार इस संबंध में मुख्यमंत्री निवास पर बैठक हुई, जिसमें सीएम अशोक गहलोत के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे आदि वरिष्ठ नेता मौजूद थे. बैठक में विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों की मौजूदा सियासी तस्वीर और जीत की संभावनाओं पर चर्चा की गई. खासकर, केन्द्र सरकार के आर्थिक आधार पर आरक्षण जैसे नए फैसलों के प्रभाव पर भी चर्चा हुई.
आम चुनाव के मद्देनजर विभिन्न लोस क्षेत्रों के प्रमुख सक्रिय कार्यकर्ताओं को बुलाया जा रहा है तथा उनके साथ बैठकर विस्तार से चर्चा की जाएगी ताकि उनकी भावना के अनुरूप सशक्त उम्मीदवार का चयन किया जा सके. इसके बाद संभावित उम्मीदवारों के नाम अंतिम चयन के लिए पार्टी हाईकमान को भेजेंगे.
उल्लेखनीय है कि पिछले लोस चुनाव में कांग्रेस तमाम 25 सीटें हार गई थी, हालांकि उपचुनाव में कांग्रेस दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी. ताजा सियासी समीकरण के हिसाब से कांग्रेस आधे से ज्यादा सीटें जीतने की स्थिति में है, लेकिन बीस से अधिक सीटें जीतने की रणनीति बनाने पर जोर है, क्योंकि राजस्थान में विस चुनाव के बाद होने वाले लोस चुनाव में सत्ताधारी दल को ज्यादा फायदा मिलता रहा है.