संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को द्वारा जयपुर के परकोटे को विश्व धरोहर की सूची में शामिल तो किया गया है लेकिन अब इस खिताब को संजोए रंखना प्रदेश सरकार और जयपुर नगर निगम के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि 2020 में यूनेस्को द्वारा गठित समिति समीक्षा करेगी की जयपुर का परकोटा वास्तव में धरोहरों की सूची में शुमार होने योग्य है या नहीं। ऐसे में प्रदेश सरकार को उन सभी वादों को पूरा करना होगा जिनके आधार पर राजधानी के परकोटे को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है।
उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति की 6 जुलाई को अजरबेजान की राजधानी में हुई बैठक में जयपुर के परकोटा क्षेत्र को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया था। इसके लिए 21 में से 16 सदस्यों ने सहमति जताई। इसका एक बड़ा कारण विश्व पटल पर भारत की बढ़ती साख भी है। वाकु गये जयपुर नगर निगम और राज्य सरकार के अधिकारियों ने परकोटे को बचाए रखने के लिए यूनेस्को से कई बड़े वादे किये थे। इन वादों को पूरा करने की शर्त पर ही जयपुर के परकोटे को विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया गया।
राज्य सरकार और जयपुर नगर निगम जयपुर के परकोटे को विरासत के रूप में बचाए रखने के लिए जयपुर के मास्टर प्लान के तहत चारदीवारी क्षेत्र में स्पेशल हेरिटेज प्लान लागू करना, परम्परागत उद्योगों वाले रास्तों व गलियों को संरक्षण देना, परकोटे की विरासत को बचाने के लिए सख्त कानून लागू करना, प्राचीन इमारतों के मूल स्वरूप को संरक्षण देने सहित अनेक वादों को पूरा करने की चुनौती होगी। यदि इसमें सरकार असफल रही तो यूनेस्को जयपुर से विश्व धरोहर का सम्मान वापस ले सकता है।