राजस्थान चुनावः कांग्रेस बहुमत से जीती तो पायलट और सियासी जोड़तोड़ चली तो गहलोत होंगे मुख्यमंत्री!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 11, 2018 07:18 AM2018-12-11T07:18:12+5:302018-12-11T08:13:38+5:30
राजस्थान कांग्रेस में प्रत्यक्ष तौर पर तो सभी एक हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां दो खेमे बने हुए हैं, जिनमें एक का नेतृत्व गहलोत करते हैं तो दूसरे का पायलट.
राजस्थान विस चुनाव से पहले ही भाजपा ने सीएम वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया था, लेकिन कांग्रेस में तो पहले ही दिन से बड़ा सवाल है कि राजस्थान में यदि कांग्रेस जीती तो मुख्यमंत्री कौन होगा? अब जबकि, एक्जिट पोल के नतीजे राजस्थान में कांग्रेस की जीत दिखा रहे हैं तो एक बार फिर यह सवाल गरमा गया है कि कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
वैसे तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने की हालत में मुख्यमंत्री के पद के लिए आधा दर्जन नेताओं के नाम चर्चा में हैं, परंतु वास्तव में दो ही नेताओं के नाम वजनदार हैं-पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट. जहां गहलोत राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने के कारण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीब हैं, वहीं युवा पायलट की दोस्ती और सक्रि यता राहुल गांधी को पसंद है.
राजस्थान कांग्रेस में प्रत्यक्ष तौर पर तो सभी एक हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां दो खेमे बने हुए हैं, जिनमें एक का नेतृत्व गहलोत करते हैं तो दूसरे का पायलट. इन हालातों को देखते हुए ही जयपुर में कांग्रेस की सभा के दौरान राहुल गांधी ने दोनों नेताओं की मंच पर ही चर्चित मुलाकात करवाई थी.
यही नहीं, पायलट और गहलोत ने एक ही मोटरसाइकिल पर सवार होकर यह संदेश देने की भी कोशिश की थी कि ऐसा कुछ नहीं है, जैसी चर्चाएं हैं. यह तो चुनाव के पहले की तस्वीर थी, परंतु अब तय होना है कि मुख्यमंत्री कौन होगा? चुनाव परिणाम की तीन संभावनाएं हैं- भारी बहुमत से कांग्रेस की जीत, बराबरी की टक्कर में कांग्रेस की जीत और बहुमत के करीब जीत.
यदि भारी बहुमत से कांग्रेस जीतती है तो ज्यादा संभावना है कि सचिन पायलट सीएम बने, यदि बराबरी की टक्कर में कांग्रेस जीतती है तो पायलट और गहलोत, दोनों के लिए पचास-पचास प्रतिशत की संभावनाएं है और यदि बहुमत से कम लेकिन बहुमत के करीब कांग्रेस जीतती है तो जोड़तोड़ की सियासत होगी, ऐसी स्थिति में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने की ज्यादा संभावनाएं हैं.
ऐसी ही सियासी तस्वीर पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी और पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के समय में भी रही थी. चुनाव से पहले पायलट और गहलोत में से मुख्यमंत्री कौन? इसको लेकर कई सर्वे भी आए थे, जिनमें से किसी में पायलट आगे रहे तो किसी में गहलोत, मतलब.. कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं बनी, इसलिए सवाल अपनी जगह कायम रहा.
दोनों नेताओं की सक्रि यता और विशेष प्रभाव क्षेत्र के नजरिए से देखें तो उत्तर-पूर्वी राजस्थान में जहां पायलट की अच्छी पकड़ है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान गहलोत का गढ़ है, इसीलिए माना जा रहा है कि उत्तर-पूर्वी राजस्थान से ज्यादा उम्मीदवार जीते तो पायलट और दक्षिण-पश्चिमी से जीते तो गहलोत होंगे मुख्यमंत्री.
इस बार के चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता- गिरिजा व्यास, सीपी जोशी, रामेश्वर डूडी, बी.डी. कल्ला, रघु शर्मा आदि भी चुनाव मैदान में हैं. इन्हें सत्ता में एडजस्ट करना भी बड़ी चुनौती है, क्योंकि इनमें से कोई यदि सीएम नहीं बनता है तो राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के अलावा कोई और समकक्ष पद नहीं है.
पायलट के सामने बेहतर संभावनाएं तो हैं, किंतु वरिष्ठ नेताओं को अपने साथ सत्ता में बनाए रखना आसान काम नहीं है. यदि वे इस बार कामयाब रहे तो राजस्थान की राजनीति में लंबी सियासी पारी खेल पाएंगे. एक कमजोर संभावना यह भी है कि चुनावी नतीजों के बाद कर्नाटक विस चुनाव जैसी सियासी तस्वीर उभरे. ऐसी स्थिति में जिसका भाग्य प्रबल होगा, वही मुख्यमंत्री बन जाएगा.
राजस्थान विस चुनाव की मतगणना का काम शुरू होने के बाद 11 दिसंबर को राजस्थान की सियासी तस्वीर साफ हो जाएगी कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी? एक्जिट पोल के परिणामों पर भरोसा करें तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने की ज्यादा संभावना है. यदि राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में आई तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के अलावा डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे नेता हैं, जिन्हें सरकार में बड़ी भूमिका मिल सकती है, यदि वे जीत गए.
डॉ. गिरिजा व्यास, सी.पी. जोशी, बी.डी. कल्ला, रामेश्वर डूडी, पं. भंवरलाल शर्मा, महेंद्रजीत सिंह मालवीया, शांति धारीवाल, राजकुमार शर्मा, रघु शर्मा, विश्वेंद्र सिंह, अर्चना शर्मा, प्रताप सिंह खाचिरयावास, प्रमोद जैन भाया, मानवेंद्र सिंह, उदयलाल आंजना, दयाराम परमार आदि नेताओं को कांग्रेस सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है.