राजा भैया का भाजपा को मिला साथ, भाजपा के शीर्ष नेताओं की पहल पर भाजपा का साथ देने को हुए तैयार

By राजेंद्र कुमार | Published: February 26, 2024 07:14 PM2024-02-26T19:14:58+5:302024-02-26T19:16:34+5:30

वर्ष 1993 में राजा भैया ने 24 साल की उम्र में पहली बार कुंडा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता था। तब से लेकर वह आज तक चुनाव नहीं हारे हैं। वह सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।

Raja Bhaiya got support from BJP, ready to support BJP on the initiative of top BJP leaders | राजा भैया का भाजपा को मिला साथ, भाजपा के शीर्ष नेताओं की पहल पर भाजपा का साथ देने को हुए तैयार

राजा भैया का भाजपा को मिला साथ, भाजपा के शीर्ष नेताओं की पहल पर भाजपा का साथ देने को हुए तैयार

Highlightsराजा भैया को अपने साथ लाने में जुटी भाजपा आखिर सोमवार को अपने मिशन में हुई सफलराजा भैया ने राज्यसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार को वोट देने का ऐलान कर दियाउनकी पार्टी के विधायक विनोद सोनकर भाजपा के उम्मीदवार को वोट देंगे

लखनऊ: बीते दस सालों से प्रतापगढ़ के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को अपने साथ लाने में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आखिर सोमवार को अपने मिशन में सफल हो गई। जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने राज्यसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार को वोट देने का ऐलान कर दिया।

ऐसे में अब राजा भैया और उनकी पार्टी के विधायक विनोद सोनकर भाजपा के उम्मीदवार को वोट देंगे। राजा भैया के इस फैसले से समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी को उनका वोट मिलने की उम्मीद खत्म हो गई है। अब राज्यसभा की दस (10) सीटों के लिए 27 फरवरी हो होने वाला मतदान रोचक हो चला है।

अब यूपी में यह चर्चा है कि 27 फरवरी का दिन राजनीतिक उठापटक और दांवपेच वाला रहने वाला है, क्योंकि यूपी में राज्यसभा की दस सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। आठ प्रत्याशी भाजपा ने खड़े किए हैं, जबकि तीन प्रत्याशी सपा के चुनाव मैदान में हैं। सपा के तीनों उम्मीदवारों को जीतने के लिए कुल 111 वोट की जरूरत है। 

सपा के पास अपने विधायक 108 ही हैं। सपा को उम्मीद थी कि वर्षों तक सपा के साथ रहने वाले राजा भैया उसके उम्मीदवारों को वोट देंगे। राजा भैया और उनकी पार्टी का वोट पाने के लिए अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को राजा भैया के घर भेजा था, लेकिन सोमवार को राजा भैया ने जनसत्ता दल का वोट भाजपा के साथ है का ऐलान कर अखिलेश के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

यह जानना दिलचस्प होगा कि सपा के तीसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए अखिलेश यादव बाकी के तीन वोट का जुगाड़ कैसे करेंगे। अखिलेश यादव के समक्ष ना सिर्फ सपा की सहयोगी पार्टी अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल की नाराजगी की चुनौती है, बल्कि राष्ट्रीय लोकदल के भाजपा के साथ खड़े होने जाने से उत्पन्न हुई राजनीति चुनौती है। अब देखना यह है कि अखिलेश यादव किस तरफ से जोड़ गांठ कर अपने तीनों प्रत्याशियों की जीत का रास्ता तैयार करते हैं।

कौन है राजा भैया और कैसे माने?
  
रघुराज प्रताप सिंह को राजनीति की दुनिया में राजा भैया के नाम से जाना जाता है। अपनी दबंगई को लेकर वह सुर्खियों में बने रहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने उन्हे कुंडा का गुंडा कहा था। वर्ष 1993 में राजा भैया ने 24 साल की उम्र में पहली बार कुंडा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता था। तब से लेकर वह आज तक चुनाव नहीं हारे हैं। वह सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।

मुलायम सिंह यादव और अखिलेश सरकार में वह कैबिनेट मंत्री रहे थे। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह नहीं चाहते थे कि वह राजनीति में आए। उनके पिता ने आज तक उनके लिए वोट नहीं मांगा है, उनका कहना है कि उन्हें किसी के आगे हाथ फैलाना पसंद नहीं है. यूपी की सियासत में राजा भैया का दबदबा रहा है, लेकिन मायावती से उनकी नहीं बनी।

वर्ष 2002 में मायावती सरकार में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। मायावती ने पोटा की कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल में भेज दिया था, उनके महल पर भी छापा मारा गया और राजा भैया को क़रीब 11 महीने जेल में रहना पड़ा। मायावती के हटने के बाद जब मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तब उन्होने राजा भैया पर पोटा हटाया था और वह जेल से बाहर आए। 16 नवंबर 2018 को राजा भैया ने अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया।

इस दल का गठन होने के पूर्व भाजपा उन्हे वर्ष 2014 में अपने साथ लाने का प्रयास किया था। तब उन्हे भाजपा के सिंबल पर प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव का आफ़र दिया गया था,लेकिन वह नहीं माने, फिर उन्हे वर्ष 2017 में भाजपा के साथ आने का आफ़र दिया गया। तब भी बात नहीं बनी।

बीते विधानसभा चुनाव के पहले उन्हे दल को एनडीए में शामिल करने का प्रयास भी भाजपा नेताओं ने किया लेकिन राजा भैया तैयार नहीं हुए, लेकिन इस बार दिल्ली से शीर्ष भाजपा ने जो प्रयास किया, उसका असर हुआ और राजा भैया भाजपा के उम्मीदवार को वोट देने के लिए तैयार हो गए।
 

Web Title: Raja Bhaiya got support from BJP, ready to support BJP on the initiative of top BJP leaders

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