प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और कुछ अन्य मुद्दों पर बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस शामिल नहीं होगी। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं होगी क्योंकि एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार से वह सहमत नहीं है।
देश में एक साथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराने को लेकर मोदी सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद भवन में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। इसमें वे सभी दल शामिल होंगे, जिनके राज्यसभा या लोकसभा के सांसद हैं। हालांकि, कांग्रेस, TMC, डीएमके, टीआरएस, टीडीपी समेत कई पार्टियों ने इस बैठक में आने से इनकार कर दिया है, कांग्रेस ने जो इस मुद्दे पर बैठक बुलाई थी वह भी रद्द हो गई है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी प्रधानमंत्री के द्वारा बुलाई गई बैठक में नहीं आएंगे। समाजवादी पार्टी का मानना है कि ये बैठक बिना किसी एजेंडे के साथ हो रही है। पहले ऐसे कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव बैठक में शामिल होंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को बुलाई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। मोदी ने ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ के विचार, साल 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न और इस साल महात्मा गांधी की जयंती के 150 साल पूरे होने समेत कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 19 जून को एक बैठक में सभी दलों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है।
बैठक के लिए उन दलों को आमंत्रित किया गया जिनका लोकसभा या राज्यसभा में कोई सांसद है। सूत्रों के अनुसार, केजरीवाल बैठक में शामिल नहीं होंगे और पार्टी के सदस्य राघव चड्ढा आप का प्रतिनिधित्व करेंगे। चड्ढा को हाल में हुए लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से उम्मीदवार बनाया गया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मंगलवार को बैठक से खुद को बाहर कर लिया था और सरकार से ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को ‘‘जल्दबाजी’’ में लागू करने के बजाय उस पर श्वेत पत्र तैयार करने के लिए कहा।
बसपा अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के नरेंद्र मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए “एक देश एक चुनाव” फ़ार्मूले को ग़रीबी एवं अन्य समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा छलावा करार दिया है।
मायावती ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, “किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकता और न ही चुनाव को कभी धन के व्यय-अपव्यय से तौलना उचित है। देश में ’एक देश, एक चुनाव’ की बात वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजबारी, बढ़ती हिंसा जैसी ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास और छलावा है।”
उन्होंने ईवीएम को भी चुनावी प्रक्रिया के लिए नुक़सानदायक बताते हुए कहा कि मतपत्र के बजाए ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने की सरकार की जिद से देश के लोकतंत्र तथा संविधान को असली खतरा है। मायावती ने ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी बसपा के शामिल नहीं होने का स्पष्ट संकेत भी दिया।
बसपा प्रमुख ने कहा, “ ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास घट गया है जो चिंताजनक है। ऐसे में इस घातक समस्या पर विचार करने हेतु अगर आज की बैठक बुलाई गई होती तो मैं अवश्य ही उसमें शामिल होती।”