अमेठी के वोटरों ने राहुल गांधी को हराया नहीं, सजा दी है?
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: May 26, 2019 04:20 PM2019-05-26T16:20:55+5:302019-05-26T16:20:55+5:30
साइकिल रिपेयर दुकान मालिक राम अवध मौर्य ने कहा कि गांधी परिवार ने केवल संजय गांधी अस्पताल के कर्मियों की सैलरी बढ़ाई। उन्होंने कहा, ''जो लोग अस्पताल के बाहर अपनी जीविका चलाने के लिए काम करते हैं, राहुल के पास उनसे मिलने और बात करने के लिए एक मिनट का समय नहीं था..।''
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उनकी पारंपरिक कही जाने वाली सीट अमेठी से हार गए। भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने उन्हें करीब 55 हजार मतों से हराया लेकिन अब एक बहस चल पड़ी है कि राहुल गांधी दरअसल, हारे नहीं हैं, उन्हें अमेठी के लोगों ने सजा दी है।
अमेठी के कई लोगों का कहना है कि राहुल गांधी वहां लगातार सांसद रहे लेकिन राजीव गांधी के अलावा वहां किसी ने विकास नहीं कराया। राहुल गांधी ने तो बिल्कुल भी नहीं कराया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सुशीला शुक्ला नाम की एक दुकानदार ने बताया कि उनके परिवार में इस बार वह अकेली सदस्य रह गईं जिसने कांग्रेस को वोट दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अमेठी में विकास कराने में नाकाम रहे। सुशीला ने कहा कि राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की साख के दम पर जीतते रहे, उन्होंने अगर कुछ काम किया होता तो वह जरूर जीत जाते।
एडवोकेट विनोद कुमार शुक्ला के मुताबिक, राहुल गांधी ने अमेठी में कुछ काम नहीं किया। राजीव गांधी ने अमेठी में विकास कार्य कराए थे। राहुल को केवल उनकी इमेज पर वोट मिल रहे थे।
अमेठी के मतदाता वर्ग के बीच एक जनरेशन गैप दिखाई देता है। बुजुर्गों के बीच में कांग्रेस का क्रेज अब भी बरकरार है और लोग राजीव गांधी और इंदिरा गांधी को जानने का दावा कर चुके हैं लेकिन युवा मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास जताया।
पुराने मतदाताओं में से कई ऐसे हैं जो कहते हैं कि इस सीट पर फिर से परचम लहराने के लिए राहुल गांधी को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। सराय भगुआनी के रामलाल यादव कहते हैं कि अगर आने वाले पांच वर्षों में स्मृति ईरानी अच्छा काम करती हैं तो फिर उनके हटाने का कोई कारण नहीं बचेगा।
स्मृति ईरानी को लेकर लोगों के बीच एक आम भावना है कि 2014 का चुनाव हारने के बाद भी वह अमेठी की जनता का भरोसा जीतने का प्रयास करती रहीं। साइकिल रिपेयर दुकान के मालिक राम अवध मौर्य ने बताया राहुल के पास यहां रुकने और हमारे पास आने का कभी समय नहीं रहा।
लोगों के मुताबिक, पिछली हार के बावजूद स्मृति ईरानी अमेठी आती रहीं, लोगों से मिलती रहीं, कर्यक्रमों में हिस्सा लेती रहीं। मोदी लहर का असर भले ही रहा हो लेकिन स्मृति के प्रयास उन्हें जीत दिलाने में अहम रहे। गौरीगंज के वकील विनोद कुमार शुक्ला ने बताया, ''हमने मोदी, राष्ट्रहित और देश भक्ति के लिए वोट किया। और राहुल ने इलाके में कुछ नहीं किया।''
29 वर्षीय अपूर्व श्रीवास्तव ने हाल में डेयरी का काम शुरू किया है। वह कहते हैं कि उन्होंने 2014 में कांग्रेस को वोट दिया था, इस बार विकास को वोट दिया। वह कहते हैं, ''ईरानी ने यहां समय बिताया, उन्होंने फैक्ट्री शुरू कराने जैसे काम किए। स्मृति के चुनाव प्रचार के दौरान आग लगी थी और वह खुद उसे बुझाने कूद पड़ी थीं। उन्होंने खुद को अमेठी का हिस्सा बनाने के लिए काम किया है।''
आरटीओ के पास एक चाय की दुकान चलाने वाले हंसराज यादव ने कहा कि अब तक कांग्रेस के खिलाफ मतदान करना विकल्प नहीं था क्योंकि लगता था कि यह गांधी परिवार का अपमान होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को जो मौके मिले, उन्होंने अपना समय व्यर्थ में गंवा दिया।
साइकिल रिपेयर दुकान मालिक राम अवध मौर्य ने कहा कि गांधी परिवार ने केवल संजय गांधी अस्पताल के कर्मियों की सैलरी बढ़ाई। उन्होंने कहा, ''जो लोग अस्पताल के बाहर अपनी जीविका चलाने के लिए काम करते हैं, राहुल के पास उनसे मिलने और बात करने के लिए एक मिनट का समय नहीं था। वहीं, स्मृति ईरानी यहां कई काम करती रहीं। उन्होंने किसानों को बीज बांटे, शादियों-त्योहारो में शामिल हुईं।''