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राहुल गांधी ने मछुआरों की मांगों को पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का दिया आश्वासन

By भाषा | Updated: February 24, 2021 18:20 IST

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कोल्लम (केरल), 24 फरवरी केरल के कोल्लम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी मछुआरों के जीवन का अनुभव लेने और उनकी समस्याओं को समझने के लिए उनके साथ समुद्र में मछली पकड़ने गए और उन्हें आश्वस्त किया कि कांग्रेस पार्टी उनकी जरूरतों को चुनावी घोषणापत्र में शामिल करेगी।

केरल में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं।

यहां थांगस्सेरी तट पर एकत्र हजारों मछुआरों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने वाम नीत एलडीएफ की सरकार पर गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए एक अमेरिकी कंपनी के साथ कथित अनुबंध को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि इससे मछुआरों की आजीविका प्रभावित होगी।

राज्य में वायनाड सीट से सांसद गांधी ने कहा, ‘‘ मैं आपके काम को समझता हूं और उसका आदर करता हूं। मैं आपके काम की प्रशंसा करता हूं। कई बार ऐसा होता है कि हम मछली खाते हैं लेकिन इसके पीछे की कठिन मेहनत को नहीं समझ पाते, नहीं जान पाते कि किस तरह यह हमारी प्लेट तक पहुंची।’’

यहां बातचीत से पहले गांधी मछुआरों के साथ उनकी नाव में बैठकर समुद्र में भी गए। उन्होंने अपनी यात्रा सुबह लगभग साढ़े चार बजे वाडी तट से शुरू की और करीब एक घंटे तक समुद्र में रहे।

उन्होंने मछुआरों के साथ मिलकर समुद्र में मछली पकड़ने वाला जाल फेंका, लेकिन केवल एक स्क्वीड (मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाला घोंघा) पकड़ सके। । नीली टी-शर्ट और खाकी पैंट पहने कांग्रेस नेता ने तट पर वापसी के दौरान वहां खड़े लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।

उन्होंने मछुआरों से कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव का घोषणा पत्र तैयार करने के लिए समाज के विभिन्न तबकों से संपर्क कर रही है और उनकी (मछुआरों) भी मांग को उसमें शामिल किया जाएगा और पूरा किया जाएगा।

गांधी ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को कांग्रेस नीत यूडीएफ की बैठक में इस ओर इशारा किया था कि मोर्चे का मछुआरों को लेकर एक समर्पित घोषणापत्र होना चाहिए। कांग्रेस नेता के मछुआरों के साथ बातचीत के बाद राज्य की दो दिवसीय यात्रा पूरी हो जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं चाहता हूं कि केरल के मछुआरे, कांग्रेस पार्टी और यूडीएफ अगले दो-तीन सप्ताह में बातचीत करें और यह निर्णय लें कि वे घोषणापत्र में क्या चाहते हैं।’’ गांधी ने पिछले सप्ताह में पुडुचेरी में मछुआरों के साथ बातचीत की थी और यहां भी मछुआरों के साथ बातचीत में उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि मछुआरों के लिए ‘समर्पित’ मंत्रालय नहीं है। मछुआरों की तुलना किसानों से करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ जैसे किसान अपने खेत में अनाज उपजाता है, वैसे ही आप भी समुद्र में खेती करते हैं… किसानों के पास दिल्ली में मंत्रालय है लेकिन आपके पास दिल्ली में मंत्रालय नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आपके बारे में दिल्ली में कोई बात नहीं करता है। इसलिए मैं पहला काम हमारे देश में मछुआरों के लिए समर्पित मंत्रालय बनाने की दिशा में करना चाहता हूं। ताकि आपके मुद्दे उठाए जा सकें और आपके हितों की रक्षा हो सके।’’

पुडुचेरी में भी राहुल गांधी की इसी तरह की टिप्पणी के बाद केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा नेताओं ने गांधी पर ‘झूठ’ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस तरह का मंत्रालय पहले से ही मौजूद है।

गहरे समुद्र में मछली पकड़ने संबंधी कथित अनुबंध से जुड़े विवाद को लेकर वाम मोर्चा नीत एलडीएफ सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह देखना चाहते हैं कि वे ट्रॉलरों से क्या करने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं प्रतिस्पर्धा में विश्वास रखता हूं…लेकिन अनुचित प्रतिस्पर्धा में नहीं। सभी पक्षों के हिस्से में बराबर का मैदान होना चाहिए।’’

केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ विपक्ष ने वाम मोर्चे की सरकार पर गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए अमेरिका की एक कंपनी के साथ कथित अनुबंध को लेकर कई तरह के आरोप लगाए हैं और इस मुद्दे के बीच राहुल गांधी का मछुआरों के साथ बातचीत करना राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है।

विवाद के मद्देनजर मुख्यमंत्री पी विजयन ने संबंधित अधिकारियों को अमेरिकी कंपनी ईएमसीसी और केरल स्टेट इन्लैंड नेविगेशन कॉर्पोरेशन (केएसआईएनसी) के बीच हुए समझौते को रद्द करने के निर्देश दिए थे।

गांधी ने पार्टी द्वारा ‘न्याय योजना’ के वादे को दोहराते हुए कहा कि यह योजना इस बात की गारंटी देती है कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति के खाते में सालाना 72,000 रुपये आएंगे। पिछले महीने यूडीएफ ने मसौदा घोषणापत्र जारी किया था, जिसमें यह योजना शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे घोषणापत्र में हम न्याय का एक रूप विकसित कर रहे हैं। केरल में प्रत्येक गरीब को उनके बैंक खाते में धन मिलेगा। इससे उनका जीवन आसान हो सकेगा और वे अपने बच्चों को शिक्षित कर सकेंगे।’’

मछुआरों को ‘भाई’ कहकर संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि वह उनके दैनिक जीवन को समझना चाहते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘आज सुबह मैं अपने भाइयों के साथ समुद्र में गया। नाव की यात्रा शुरू होने से लेकर उसकी वापसी तक उन्होंने सभी खतरे उठाए…खूब मेहनत की। वे समुद्र में जाते हैं, जाल खरीदते हैं लेकिन उसका फायदा कोई और उठाता है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ उन्होंने (मछुआरों) समुद्र में जाल फेंका और वापस निकाला तो इसमें सिर्फ एक स्क्वीड थी। इसलिए नाव, इस यात्रा और पेट्रोल पर खर्च के बाद हम पाते हैं कि पूरी प्रक्रिया का खर्च भी नहीं निकल पाया।’'

गांधी ने कहा, ‘‘वह सोच रहे थे कि जाल ढेर सारी मछलियों से भरा होगा लेकिन वह खाली ही पानी से बाहर निकला। इसे मैंने अपनी आंखों से देखा और यह मेरा अनुभव रहा।’’

मछुआरों की दिक्कतों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के दाम रोजाना बढ़ रहे हैं लेकिन मछुआरा समुदाय एक तय आकार से परे इंजन नहीं खरीद सकता है।

गांधी ने ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार पर अपने हमले जारी रखते हुए आरोप लगाया कि लोगों के पैसे ‘सिर्फ दो या तीन कारोबारियों की जेबों में जा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आज ईंधन की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम हो रही हैं। लेकिन भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। आपकी जेबों से पैसे निकालकर भारत में सिर्फ दो या तीन कारोबारियों को दिया जा रहा है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि ये पैसे ज्यादा से ज्यादा आपकी जेबों में जाए।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि मछुआरों ने उन्हें बताया कि उनका कोई बीमा भी नहीं है।

गांधी ने मछुआरों से कहा, ‘‘ मुझे पता है कि आप क्या करते हैं। और अब, जब कोई मछुआरा मेरे पास आकर बताता है कि वह किन दिक्कतों का सामना कर रहा है तो मैं अब उसे थोड़ा समझ सकता हूं कि वे किन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। निश्चित तौर पर मैं उनकी वास्तविकता को पूरी तरह कभी भी नहीं समझ सकता हूं। मैंने सिर्फ एक दिन जाल फेंका है, आप रोजाना यह काम करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ नाव पर उन्होंने मछली पकाई। पहली बार मैंने सीधे तौर पर देखकर यह महसूस किया कि कितनी दिक्कतों के बाद हमारी थाली तक यह पहुंचती है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह मछुआरों के जीवन को आसान बनाने के लिए काम करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि वह उनकी सभी दिक्कतों को तो दूर नहीं कर सकते हैं लेकिन निश्चित तौर पर वह उनके साथ काम करते हुए जहां तक संभव हो सकता है, वहां तक उनकी दिक्कतों को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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