राफेल सौदाः रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने विमानों की कीमत पर जताई थी आपत्ति
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 27, 2018 11:30 AM2018-09-27T11:30:22+5:302018-09-27T16:13:03+5:30
Rafale Deal Controversy: इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने अपनी आपत्ति में कहा था कि 36 नए राफेल की कीमत पिछले 126 प्रस्तावित राफेल विमानों की मानक कीमत से ज्यादा है।
नई दिल्ली, 27 सितंबरः भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सितंबर 2016 में फ्रांसीसी समकक्ष के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा किया था। इससे ठीक एक महीने पहले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने विमानों की मानक कीमतों को लेकर आपत्ति जताई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वो अधिकारी कॉन्ट्रैक्ट निगोसिएशन कमेटी के सदस्य भी थे और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे। इस संबंध में उन्होंने कैबिनेट को एक नोट भी लिखा था जो फिलहाल सीएजी के पास है।
रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी की आपत्ति के बाद राफेल विमान सौदे की मंजूरी में देरी भी हुई। रक्षा मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के इस आपत्ति को खारिज करने के बाद सौदे का रास्ता साफ हो सका। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने अपनी आपत्ति में कहा था कि 36 नए राफेल की कीमत पिछले 126 प्रस्तावित राफेल विमानों की मानक कीमत से ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी की आपत्ति वाले नोट को सीएजी आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश कर सकती है। यह भी माना जा रहा है कि इस नोट के साथ यह भी बताया जा सकता है कि कैसे उनकी आपत्ति को बेअसर किया गया।
गौरतलब है कि कॉन्ट्रैक्ट निगोसिएशन कमेटी के मुखिया भारतीय वायुसेना के डिप्टी चीफ थे। करीब एक दर्जन बैठक के दौर चले। उसके बाद कीमतें तय की गई थी। 36 राफेल विमान सौदे की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2015 में पेरिस यात्रा के दौरान किया था। इसके बाद जून 2015 में 126 राफेल विमान सौदे के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया।
इससे पहले राफेल विमान सौदे में ‘ऑफसेट पार्टनर’ के संदर्भ में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के कथित बयान आया था। फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक ओलांद ने कहा था कि भारत सरकार ने 58,000 करोड़ रुपये के राफेल विमान सौदे में फ्रांस की विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट एविएशन के ऑफसेट साझेदार के तौर पर रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया था और ऐसे में फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था।
राफेल अनेक भूमिकाएं निभाने वाला एवं दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है। राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है। भारत सरकार ने अपनी वायुसेना के लिए इसे खरीदने का फैसला किया है। कांग्रेस पार्टी का ये आरोप है कि राफेल की डील मोदी सरकार ने अनिल अंबानी को क्यों दी है? राहुल गांधी का कहना है कि जिसकी कंपनी ने कभी कोई हथियार बनाई ही नहीं, उसको इतनी बड़ी डील कैसे दे दी गई।