लाइव न्यूज़ :

राफेल डील विवाद: रिव्यू याचिका मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 6, 2019 08:35 IST

केंद्र ने कहा कि मीडिया में आई खबरें फैसले की समीक्षा का आधार नहीं हो सकतीं क्योंकि यह सुस्थापित कानून है कि अदालतें मीडिया में आई खबरों के आधार पर फैसला नहीं कर सकतीं।

Open in App
ठळक मुद्देकेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राफेल मामले में सुनवाई की जरूरत नहीं है।पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिका दायर की है।

राफेल डील विवाद पर रिव्यू याचिका में केंद्र सरकार द्वारा जवाब दाखिल करने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। चार मई को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राफेल मामले में उसके पिछले साल 14 दिसंबर के फैसले में दर्ज ‘स्पष्ट और जोरदार’ निष्कर्षों में कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं है, जिससे उसपर पुनर्विचार की जरूरत है। 

केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की आड़ में और उनके मीडिया में आई कुछ खबरों और अनधिकृत और अवैध तरीके से हासिल कुछ अधूरे फाइल नोटिंग्स पर भरोसा कर समूचे मामले को दोबारा नहीं खोला जा सकता क्योंकि पुनर्विचार याचिका का दायरा ‘बेहद सीमित’ है।

केंद्र का जवाब पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिका पर आया है, जिसमें वे शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। 

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में करोड़ों रुपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे मामले में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली उनकी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। दो अन्य पुनर्विचार याचिकाएं आप नेता संजय सिंह और अधिवक्ता विनीत ढांडा ने दायर की है। 

सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सुनवाई करेंगे। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘पुनर्विचार याचिका असंबद्ध जांच का आदेश दिलाने का प्रयास है, जिसे इस अदालत ने साफ तौर पर मना कर दिया था। शब्दों से खेलकर सीबीआई से जांच और अदालत से जांच कराए जाने के बीच अस्तित्वविहीन भेद करने का प्रयास किया जा रहा है।’’ 

केंद्र ने कहा कि शीर्ष अदालत राफेल सौदे के सभी तीन पहलुओं--निर्णय की प्रक्रिया, कीमत और भारतीय ऑफसेट पार्टनर का चयन--पर इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि उसके हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। 

केंद्र ने कहा कि मीडिया में आई खबरें फैसले की समीक्षा का आधार नहीं हो सकतीं क्योंकि यह सुस्थापित कानून है कि अदालतें मीडिया में आई खबरों के आधार पर फैसला नहीं कर सकतीं। केंद्र ने कहा कि आंतरिक फाइल नोटिंग और उसमें शामिल विचार मामले में अंतिम फैसला करने के लिये सक्षम प्राधिकार के विचार करने की खातिर महज विचारों की अभिव्यक्ति हैं। 

केंद्र ने कहा, ‘‘किसी वादकारी के अंतिम फैसले पर सवाल उठाने के लिये यह कोई आधार नहीं हो सकता। इसलिये, इस आधार पर भी पुनर्विचार याचिका पर विचार के लिये कोई आधार नहीं बनाया गया है।’’ 

टॅग्स :राफेल सौदासुप्रीम कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत

भारतसुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को सफलता की कहानियों वाले दिव्यांग लोगों को शो में बुलाने और इलाज के लिए पैसे जुटाने का दिया निर्देश

भारत"कोर्ट के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है...", दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

भारत अधिक खबरें

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

भारतलालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव पर ₹356000 बकाया?, निजी आवास का बिजली कनेक्शन पिछले 3 साल से बकाया राशि के बावजूद चालू

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल