रेस खत्म, सिद्धारमैया होंगे कर्नाटक के मुख्यमंत्री, शिवकुमार बनेंगे डिप्टी सीएम, 20 मई को शपथ, बारी-बारी ढाई साल वाले फॉर्मूले पर हुई चर्चा
By अनिल शर्मा | Published: May 18, 2023 08:06 AM2023-05-18T08:06:25+5:302023-05-18T09:09:41+5:30
सूत्रों की मानें तो डीके शिवकुमार ने शर्त रखा था कि अगर यह एक साझा समझौता है तो पहले ढाई साल का कार्यकाल मुझे दिया जाए जबकि दूसरा सिद्धारमैया को। डीके शिवकुमार का कहना था कि उन्हें पहला कार्यकाल दिया जाए नहीं तो कुछ भी नहीं चाहिए।
बेंगलुरुः कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने के लिए कांग्रेस में मंत्रणा का दौर बुधवार देर रात समाप्त हो गया। कांग्रेस आलाकमान ने फैसला लिया है कि सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे और डी.के. शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक सरकार के गठन के लिए आम सहमति पर पहुंचे। शपथ ग्रहण समारोह 20 मई को दोपहर 12 बजे बेंगलुरु में होगा। इसके मद्देनजर कांग्रेस विधायक दल (CPL) की बैठक आज (18 मई) शाम 7 बजे बेंगलुरु में बुलाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने दोनों नेताओं के लिए बारी-बारी से ढाई साल का कार्यकाल तय किया है। लेकिन इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। शिवकुमार ने इसपर शर्त जाहिर कर दी।
सूत्रों की मानें तो डीके शिवकुमार ने शर्त रखा था कि अगर यह एक साझा समझौता है तो पहले ढाई साल का कार्यकाल मुझे दिया जाए जबकि दूसरा सिद्धारमैया को। डीके शिवकुमार का कहना था कि उन्हें पहला कार्यकाल दिया जाए नहीं तो कुछ भी नहीं चाहिए। बताया यह भी जा रहा है कि डिप्टी सीएम पद के लिए भी डीके शिवकुमार ने साफ मना कर दिया था। वहीं यह भी बात सामने आ रही है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले को टाल दिया गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आधी रात के बाद सरकार गठन के लिए आम सहमति पर पहुंचे। पिछले तीन दिनों से कर्नाटक सीएम पद को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेता लगातार बैठक कर रहे थे। बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद के फैसले के बारे में पूछे जाने पर डी के शिवकुमार ने मीडिया से कहा कि बताने के लिए कुछ भी नहीं है। हमने निर्णय आलाकमान पर छोड़ दिया है। आलाकमान को फैसला करना है।
गौरतलब है कि जनता परिवार के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले जमीनी नेता सिद्धारमैया 2006 में एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) से निकाले जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। देवराज उर्स के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वे केवल दूसरे मुख्यमंत्री हैं।
कांग्रेस के तीन पर्यवेक्षकों द्वारा पार्टी आलाकमान को भेजी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, वकील से राजनेता बने मुख्यमंत्री के चयन से किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि उनके पास स्पष्ट रूप से 85 विधायकों का समर्थन है।