Public Grievance Eedressal: 30 दिन में होगी शिकायतों पर सुनवाई, सीपीग्राम्स पोर्टल पर करें शिकायत, जितेंद्र सिंह ने संसद में कहा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 3, 2022 05:31 PM2022-08-03T17:31:45+5:302022-08-03T17:34:11+5:30
Public Grievance Eedressal: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि सीपीग्राम्स पर शिकायतों के निवारण के लिए समय-सीमा घटाकर 45 दिन से 30 दिन की गयी है।
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि सरकार ने शिकायतों के समय पर निवारण के लिए व्यापक सुधार किये हैं जिनमें समय-सीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन करना शामिल है। सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अत्यावश्यक स्तर पर कार्रवाई की प्रकृति वाली शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता से किया जाएगा।
कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि नागरिकों की संतुष्टि के लिहाज से फीडबैक कॉल सेंटर शुरू किये गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सीपीग्राम्स पर शिकायतों के निवारण के लिए समय-सीमा घटाकर 45 दिन से 30 दिन की गयी है।’’ सीपीग्राम्स (केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) एक पोर्टल है जिस पर नागरिक अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
लोकसभा ने केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
लोकसभा ने बुधवार को ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी जिसमें राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रावधान है। निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि सरकार द्वारा 21वीं सदी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान और भविष्य के नजरिये से और दूरदर्शी सोच के आधार पर काम करते हैं और उनकी सोच का परिणाम गतिशक्ति मिशन है। प्रधान ने कहा, ‘‘आज हम भारत में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के साथ 5जी का सपना देख रहे हैं। देश जल्द ही प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर होगा।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘देश में 15 साल से 25 वर्ष आयु वर्ग के लोगों की संख्या 25.5 करोड़ है। इनमें से 14 करोड़ बच्चे पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं। देश के सभी बच्चों को शिक्षा देना है।’’ प्रधान ने कहा, ‘‘वर्तमान भारत नया सपना देख रहा है और इसमें ऐसी शिक्षा की कल्पना की गई है जहां युवा सिर्फ रोजगार ही नहीं तलाशें, बल्कि रोजगार का सृजन भी करें।’’
प्रधान ने कहा, ‘‘यह गतिशक्ति विश्वविद्यालय पूरी तरह बहुआयामी होगा। इसमें न सिर्फ उच्च शिक्षा दी जाएगी, बल्कि क्षमता निर्माण पर जोर दिया जाएगा। यहां नये काम की जानकारी और कौशल विकास के बारे में जानकारी दी जाएगी।’’ शिक्षा मंत्री ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद पहला अनुसंधान आधारित विश्वविद्यालय बन रहा है।
मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2022’ को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने चर्चा के दौरान सदन से वॉकआउट किया था। कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य ‘नेशनल हेरल्ड’ अखबार के परिसरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी, महंगाई और जीएसटी समेत कई मुद्दों पर बुधवार को सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद से ही शोर-शराबा कर रहे थे। गौरतलब है कि विधेयक के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन का प्रस्ताव है।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में लायी गयी नई शिक्षा नीति के साथ भारत के ढांचे को बदलने का प्रयास किया जा रहा है और उसी का उदाहरण यह विधेयक है। उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र बहुत जटिल है और विशेष रूप से रेलवे तथा मेट्रो की जटिलता का अनुमान लगाना कठिन है। वैष्णव ने कहा कि रेलवे की जटिल प्रणाली को सही से चलाने और आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा की बहुत जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इसी विचार के साथ 2018 में राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान खोला गया था। उन्होंने कहा कि उसके अच्छे परिणाम को देखते हुए व्यापक रूप से गतिशक्ति विश्वविद्यालय की परिकल्पना की गयी है। रेल मंत्री ने कहा कि जिन देशों में रेलवे का बड़ा नेटवर्क है, वहां ऐसे विश्वविद्यालय हैं।
उन्होंने कहा कि गतिशक्ति विश्वविद्यालय पांच प्रमुख उद्देश्यों के साथ काम करेगा जिनमें परिवहन से संबंधित पाठ्यक्रम, कौशल विकास, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और परिवहन अर्थशास्त्र तथा अवसंरचना वित्तपोषण शामिल हैं। वैष्णव ने कहा कि संस्थान का मुख्यालय वड़ोदरा में होगा और देश में अन्य स्थानों पर इसके परिसर खोले जाएंगे।