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मुजफ्फरनगर में 'किसान महापंचायत', राकेश टिकैत बोले-कानून वापस नहीं तो, घर वापसी नहीं, पीएसी की छह कंपनियां, आरएएफ की दो कंपनियां तैनात

By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 5, 2021 09:23 IST

Kisan Mahapanchayat: राकेश टिकैत के बेटे चरण सिंह टिकैत ने कहा कि उनके पिता तब तक घर नहीं आएंगे, जब तक सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती।

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ठळक मुद्देमहापंचायत के मद्देनजर सभी शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है।शनिवार शाम छह बजे से पांच सितंबर को महापंचायत खत्म होने तक शराब की सभी दुकानें बंद रहेंगी।सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है।

Kisan Mahapanchayat: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन हो रहा है। 10 माह के बाद किसान नेता राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर जा रहे हैं। यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव है। यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है। 

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि 15 राज्यों के हजारों किसानों रविवार को होने वाली किसान महापंचायत में हिस्सा लेने के लिये उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पहुंचना शुरू कर दिया है। यह मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में होगा।

ट्विटर पर बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि महापंचायत ऐतिहासिक होने जा रही है। राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, "मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर की किसान महापंचायत ऐतिहासिक होगी। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर चलते हैं। आप सभी किसान महापंचायत में आमंत्रित हैं।"

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे एसकेएम ने कहा कि महापंचायत से साबित हो जाएगा कि आंदोलन को सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त है। एसकेएम ने एक बयान में कहा, ''पांच सितंबर की महापंचायत योगी-मोदी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की शक्ति का एहसास कराएगी। मुजफ्फरनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी।''

बयान में कहा गया है कि किसानों के वास्ते भोजन की व्यवस्था के लिए 500 लंगर सेवाएं शुरू की गई हैं, जिसमें सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर चलने वाली मोबाइल लंगर प्रणाली भी शामिल है। महापंचायत में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए 8 सितंबर की समय सीमा दी है। एसकेएम ने कहा कि अगर मामले वापस नहीं लिए गए तो किसान 8 सितंबर को बड़े विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार करेंगे।

तीन विवादास्पद कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है। किसानों को डर है कि ये कानून एमएसपी प्रणाली को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा। सरकार के साथ 10 से अधिक दौर की बातचीत विफल रही है। सरकार कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है।

 केंद्रीय कृषि कानूनों सहित किसानों से जुड़े मुद्दों पर रविवार को होने वाली ‘किसान महापंचायत’ के लिए प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) की छह कंपनियां और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की दो कंपनियां तैनात की जाएंगी। सहारनपुर रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) प्रीतिंदर सिंह ने शनिवार को कहा कि कार्यक्रम की वीडियोग्राफी कराई जाएगी जबकि पांच वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), सात अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और 40 पुलिस निरीक्षक सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात रहेंगे।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के महासचिव और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान मोर्चा के सदस्य युद्धवीर सिंह ने कहा कि किसान महापंचायत में केंद्रीय कृषि कानून, गन्ना समर्थन मूल्य और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र सहित देश भर के किसान कार्यक्रम में भाग लेंगे।

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