प्रदर्शनकारी किसान 30 दिसंबर को वार्ता के लिए सरकार के प्रस्ताव पर सहमत हुए
By भाषा | Updated: December 28, 2020 21:31 IST2020-12-28T21:31:45+5:302020-12-28T21:31:45+5:30

प्रदर्शनकारी किसान 30 दिसंबर को वार्ता के लिए सरकार के प्रस्ताव पर सहमत हुए
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर प्रदर्शनकारी किसान संगठन नये कृषि कानूनों को लेकर 30 दिसंबर को वार्ता के अगले दौर को लेकर सरकार के एक प्रस्ताव पर ‘‘सिद्धांतत:’’ सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने कहा कि केंद्र को अपने निमंत्रण में बैठक के एजेंडा के बारे में बताना चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित तारीख पर बैठक में भाग लेने के लिए किसान सहमत हो गए हैं। विवादास्पद कानून के खिलाफ 40 संगठनों का यह प्रतिनिधि संगठन है।
केंद्र ने वार्ता के लिए 30 दिसंबर की तारीख के लिए पत्र भेजा जिसके बाद किसानों ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। किसान पहले 29 दिसंबर को वार्ता चाहते थे।
कोहाड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सरकार को 26 दिसंबर को भेजे गए अपने पत्र में हमने स्पष्ट रूप से वार्ता के एजेंडे के तौर पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी का जिक्र किया था, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने आज के पत्र में किसी विशिष्ट एजेंडे का जिक्र नहीं किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम सिद्धांत रूप से सरकार के साथ वार्ता करने के लिए सहमत हो गए हैं।’’
कोहाड़ ने कहा कि सरकार 30 दिसंबर को वार्ता का प्रस्ताव दे रही है जबकि किसानों ने 29 दिसंबर का सुझाव दिया था। यह दिखाता है कि केंद्र अपना दबदबा बनाकर रखना चाहता है।
इस बीच नये कृषि कानूनों के विरोध में 28 नवंबर से सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की संख्या में सोमवार को बढ़ोतरी देखी गई क्योंकि सप्ताहांत में नये किसान उनके साथ जुड़ गए।
राजमार्ग और इसके आसपास के इलाकों में चलना दूभर हो गया क्योंकि ट्रैक्टर ट्रॉली में पहुंचे नए किसानों ने प्रदर्शन स्थल पर ज्यादा जगह घेर ली है।
एक महीना पूरा होने पर किसानों ने कहा कि वे लंबे समय तक डटे रहने के लिए तैयार हैं और आंदोलन को चलाने के लिए भोजन और कपड़ा पर्याप्त मात्रा में पहुंच रहा है।
नये कानूनों से एमएसपी व्यवस्था और मंडी व्यवस्था के खत्म होने की आशंका से किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
वहीं सरकार कानूनों को कृषि क्षेत्र के लिए बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है।
पटियाला के अमरिंदर सिंह चार दिसंबर को घर लौट गए थे और अब अपनी पत्नी और बहन के साथ लौटे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘और लोग आ रहे हैं और अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए पंजाब के हर गांव में हर घर एक हजार रुपये चंदा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दो जनवरी को एक धार्मिक समारोह समाप्त होने के बाद और लोग फतेहगढ़ साहिब से आ रहे हैं।
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