जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार (14 फरवरी) को जैश-ए-मोहम्मद के एक फिदायिन हमले में सीआरपीएफ के 30 जवान शहीद हो गए हैं। इस घटना के कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस कैंसिल कर दिया है। प्रिंयका गांधी की अधिकारिक तौर पर ये पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। प्रियंका गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''मैं अपना प्रेस कॉन्फ्रेंस इस दुखद घटना के बीच नहीं कर सकती हूं।''
प्रियंका ने कहा, ''हर देशवासी शहीदों के परिवारों के साथ है। मुझे इस घटना से काफी दुख पहुंचा है। मुझे नहीं लगता कि ये राजनीति करने का सही वक्त है।'' प्रियंका गांधी की आज (14 फरवरी) को शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली थीं। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त को बढ़ाकर उसे शाम सात बजे का कर दिया गया था। जो अब फिलहाल कैंसिल हो चुका है।
जम्मू कश्मीर में जैश के फिदायिन हमले में सीआरपीएफ के 30 जवान शहीद, जानें घटना का बैक ग्राउंड
अधिकारियों के अनुसार जैश के आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 30 जवान शहीद हो गये। यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है।
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इनमें से अधिकतर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपने काम पर वापस लौट रहे थे। जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया।
पुलिस ने आत्मघाती हमला करने वाले वाहन को चलाने वाले आतंकवादी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के तौर पर की है। उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है। उन्होंने बताया कि आतंकवादी संगठन ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है। यह हमला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर हुआ है।
विस्फोट में 20 से अधिक लोग घायल हो गये। धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए और आस पास बिखरे क्षत-विक्षत शवों को देखा जा सकता है।
सीआरपीएफ के महानिदेशक आर आर भटनागर ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘यह एक विशाल काफिला था तथा करीब 2500 सुरक्षाकर्मी विभिन्न वाहनों में जा रहे थे। काफिले पर कुछ गोलियां भी चलायी गयी।’’ यह काफिला जम्मू से तड़के साढ़े तीन बजे चला था और माना जा रहा था कि इसे सूर्यास्त तक श्रीनगर पहुंचना था।
अधिकारियों ने बताया कि घाटी लौट रहे कर्मियों की संख्या अधिक थी क्योंकि राजमार्ग पर पिछले दो-तीन दिन से खराब मौसम और अन्य प्रशासनिक कारणों से कोई आवाजाही नहीं हो रही थी।
आम तौर पर काफिले में करीब 1000 कर्मी चलते हैं किंतु इस बार कर्मियों की कुल संख्या 2547 थी। अधिकारियों ने बताया कि सड़क पर मार्ग को परखने के लिए एक दल को तैनात किया गया था और काफिले में आतंक निरोधक बख्तरबंद वाहन मौजूद थे।
फारेंसिक एवं बम विश्लेषक दल मौके पर पहुंच गये हैं। अधिकारियों ने बताया कि हमले के केन्द्र में रही बस बल की 76वीं बटालियन की थी और उसमें 39 कर्मी सवार थे।
कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (अभियान) जुल्फीकार हसन ने इसे वाहन से किया गया हमला करार दिया और कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने मामले की जांच अपने हाथ में ली है। (पीटीआई इनपुट के साथ)