प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कारीगरों, शिल्पकारों के लिए करेंगे 'पीएम विश्वकर्मा' योजना को लॉन्च, जानिए इसकी खास बातें
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 17, 2023 08:37 AM2023-09-17T08:37:45+5:302023-09-17T08:45:32+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'विश्वकर्मा जयंती' के मौके पर आज पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरूआत करेंगे।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'विश्वकर्मा जयंती' के मौके पर आज पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरूआत करेंगे। इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पीएम मोदी रविवार की सुबह 11 बजे नई दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में 'पीएम विश्वकर्मा' योजना को लॉन्च करेंगे।
पीएमओ की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि ''पीएम विश्वकर्मा'' योजना पारंपरिक शिल्प में लगे व्यक्तियों के समर्थन और उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पीएम मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि केंद्र सरकार जल्द ही पारंपरिक शिल्प कौशल में कुशल व्यक्तियों के लिए ''पीएम विश्वकर्मा'' योजना की शुरूआत करेगी।
बताया जा रहा है कि ''पीएम विश्वकर्मा'' योजना का उद्देश्य न केवल कारीगरों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है बल्कि इसका लक्ष्य सदियों पुरानी परंपराओं, संस्कृति, कला और शिल्प की समृद्ध कला के विरासत को संरक्षित करना है। इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 13,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
यह योजना उन पंजीकृत 'विश्वकर्माओं' को मिलेगी, जो बायोमेट्रिक-आधारित 'पीएम विश्वकर्मा' पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से बिना किसी लागत के अपने हाथों और उपकरणों का उपयोग करके पारंपरिक कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इन कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड भी मिलेगा।
पीएम विश्वकर्मा योजना बुनियादी प्रशिक्षण देने के लिए और उनकी कौशल वृद्धि करने के लिए 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की रियायती ब्याज दर पर 5 प्रतिशत की क्रेडिट सहायता दी जाएगी।
बताया जा रहा है कि "पीएम विश्वकर्मा" पारंपरिक 'गुरु-शिष्य परंपरा' और 'विश्वकर्माओं' के बीच पारंपरिक कौशल के विकास के लिए परिवार-आधारित कलाओं के विकास को निखारने के लिए शुरू की गई है, इनमें उन कारीगरों की कलाओं को शामिल किया जाएगा, जो अपने हाथों और उपकरणों की सहायता से कलात्मक चीजों का निर्माण करते हैं।
पीएमओ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि "पीएम विश्वकर्मा योजना" का प्राथमिक उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिससे घरेलू और वैश्विक रूप से उन्हें एकीकृ्त मंच मिल सके।
केंद्र सरकार को आशा है कि इस व्यापक योजना से भारत भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिलेगा। इसमें अठारह पारंपरिक शिल्प कलाओं को शामिल किया गया हैं, जिनमें बढ़ई, नाव निर्माता, कवच बनाने वाला, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची (जूता कारीगर), राजमिस्त्री (राजमिस्त्री), टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाला, कॉयर बुनकर, गुड़िया बनाने वाला, पारंपरिक खिलौने बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले को शामिल किया गया है।
"पीएम विश्वकर्मा" भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, कुशल कारीगरों को सशक्त बनाने और पीढ़ियों से चली आ रही शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। केंद्र सरकार का प्रयास है कि "पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से पारंपरिक शिल्पकारों को सहायता और समर्थन देने है ताकि उनकी कला आधुनिक युग में और फल-फूल सके।