वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी में काशी में भव्य तमिल समागम का उद्धाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फी थिएटर ग्राउंड में तमिल भाषियों को तमिल में संबोधित कर रहे हैं। शनिवार की दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत की परंपरागत पोशाक में काशी की धरती पर कदम रखा। जिसे देखने के बाद काशी के लोगों ने हर हर महादेव के साथ-साथ 'वणक्कम मोदी अन्ना' का जयघोष किया।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक- तमिल का घर है। हमें इस पर गर्व करना चाहिए और भाषा को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए। जब हम दुनिया को दुनिया की इस सबसे पुरानी भाषा के बारे में बताते हैं तो पूरा देश गौरवान्वित होता है।
उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों संगीत, साहित्य और कला के स्रोत हैं। काशी का तबला और तमिलनाडु का थन्नुमाई प्रसिद्ध है। काशी में आपको बनारसी साड़ी मिलेगी और तमिलनाडु में आप कांजीवरम रेशम देखेंगे, जो दुनिया भर में जाना जाता है।
एक महीने तक चलने वाले इस आयोजन से काशी तमिल समेत उत्तर भारत संग दक्षिण भारत के रिश्ते मजबूत होंगे।जानकारी के अनुसार ‘काशी तमिल समागम’ में हर सप्ताह तमिलनाडु से तीन ट्रेनें काशी आएगी। हर ट्रेन में कुल 210 तमिल यात्री मौजूद होंगे।
काशी समागम के दौरान 12 समूहों में तमिल लोगों का वाराणसी आगमन होगा। रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के 38 जिलों के करीब 3000 प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग लेंगे और बनारस के विकास का मॉडल देखेंगे। इसके बाद इन प्रतिनिधियों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रयागराज और अयोध्या का भी दौरा कराया जाएगा।
भाजपा इस कार्यक्रम को भारतीय सनातन संस्कृति के दो अहम प्राचीन पौराणिक केंद्रों के मिलन मानती है। इसलिए भाजपा इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कर रही है। इस कार्यक्रम के दौरान काशी तमिल संगमम के उद्घाटन समारोह में तमिलनाडु के 12 प्रमुख मठ मंदिर के आदिनम (महंत) को काशी की धरा पर पहली बार सम्मानित किया जाएगा।
महामना की बगिया में आयोजित भव्य समारोह में सम्मान समारोह के बाद पीएम मोदी भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम के एकाकार पर संवाद कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे।