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प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मिलेगा भारत रत्न, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ ऐलान

By रामदीप मिश्रा | Updated: January 25, 2019 20:59 IST

देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर शुक्रवार (25 जनवरी) को भारत रत्‍न के नामों का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के तहत नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत यह सम्‍मान दिया जाएगा।

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देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर शुक्रवार (25 जनवरी) को भारत रत्‍न के नामों का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के तहत नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत यह सम्‍मान दिया जाएगा। वहीं, पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी भारत रत्‍न से सम्मानित किया जाएगा। यह जानकारी राष्ट्रपति भवन की ओर से की दी गई है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि नानाजी देशमुख एवं भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया जायेगा । पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे। वह संप्रग प्रथम और द्वितीय सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।संघ से जुड़े नानाजी देशमुख पूर्व में भारतीय जनसंघ से जुड़े थे। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद उन्होंने मन्त्री पद स्वीकार नहीं किया और जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। वाजपेयी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया।भूपेन हजारिका पूर्वोत्तर राज्य असम से ताल्लुक रखते थे। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था।  उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

आपको बता दे, कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में असाधारण और उल्लेखनीय राष्ट्र सेवा करने वालों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया जाता है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा की गई थी। पहला भारत रत्न सम्मान चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को प्रदान किया गया।

शुरू में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का चलन नहीं था, लेकिन एक वर्ष बाद इस प्रावधान को जोड़ा गया। इसी तरह खेलों के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वालों को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रावधान भी बाद में शामिल किया गया। 

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