नई दिल्ली: बिहार के राजनेता आनंद मोहन सिंह की समय से पहले जेल से हुई रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। शनिवार को दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या की पत्नी उमा कृष्णैया ने बिहार के राजनेता आनंद मोहन सिंह की जेल से समय से पहले रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को आईएएस जी. कृष्णैय्या हत्याकांड में दोषी पाया गया था जिसके बाद कोर्ट ने पूर्व सांसद को फांसी की सजा हुई थी। लेकिन बाद में उनकी फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदल गयी थी। अब हाल ही में बिहार सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया है।
बिहार की जेल नियमावली में संशोधन के बाद बृहस्पतिवार सुबह आनंद मोहन को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने याचिका में दलील दी है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उनके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं जा सकती।
उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा,‘‘जब मृत्यु दंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती।’’ आनंद मोहन का नाम उन 20 कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने इस हफ्ते की शुरूआत में एक अधिसूचना जारी की थी क्योंकि वे जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं।
बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किये जाने के बाद सजा घटा दी गई, जबकि ड्यूटी पर मौजूद लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पहले पाबंदी थी। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना के रहने वाले जी. कृष्णैया की 1994 में एक भीड़ ने उस वक्त पीट-पीटकर हत्या कर दी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी। तत्कालीन विधायक आनंद मोहन शवयात्रा में शामिल थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)