Pranab Mukherjee: 2 बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रहते हुए लिए थे कई बड़े फैसले

By सुमित राय | Published: September 1, 2020 08:51 AM2020-09-01T08:51:06+5:302020-09-01T09:08:57+5:30

प्रणब मुखर्जी की राजनीति में एंट्री साल 1969 में हुई, लेकिन उन्हें असली कामयाबी साल 1982 में वित्त मंत्री रहते हुए हासिल की और 1984 के सर्वे में उन्हें दुनिया का बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर करार दिया गया।

Pranab Mukherjee dies: A look at his illustrious political career and journey | Pranab Mukherjee: 2 बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति रहते हुए लिए थे कई बड़े फैसले

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए कई बड़े फैसले लिए थे। (फाइल फोटो)

Highlightsप्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुआ था।साल 1973 में पहली बार प्रणब मुखर्जी केंद्र में मंत्री बनाए गए थे।प्रणब मुखर्जी साल 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे थे।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को दिल्ली के 'रिसर्च ऐंड रेफ्रल हास्पिटल' में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी सात बार सांसद रहे प्रणब मुखर्जी के मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। साथ ही उनके फेफड़ों के संक्रमण का भी इलाज किया जा रहा था, इसके चलते रविवार को 'सेप्टिक शॉक' आया था। 

10 अगस्त को अस्पताल में कराया गया था भर्ती

प्रणव मुखर्जी को गंभीर हालत में 10 अगस्त 2020 को दिन में 12.07 बजे दिल्ली कैंट स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में पता चला कि उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमा हुआ है, जिसके बाद इमर्जेंसी में सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। अस्पताल पहुंचने के बाद कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जब उनकी जांच की गई तब वह कोविड-19 से भी संक्रमित पाए गए थे।

साल 1935 में हुआ था प्रणब मुखर्जी का जन्म

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रीय रहे और सन 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के सदस्य रहे। वे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे। प्रणब मुखर्जी की मां का नाम राजलक्ष्मी था। प्रणब मुखर्जी ने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज (कोलकाता विश्वविद्यालय से सबद्ध) में पढ़ाई की और बाद में राजनीति शाष्त्र और इतिहास में एमए किया था। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की थी।

प्रणब मुखर्जी की साल 1969 में हुई राजनीति में एंट्री

पढ़ाई खत्म करने के बाद प्रणब मुखर्जी ने डिप्टी अकाउंटेंट जनरल (पोस्ट और टेलीग्राफ) के कोलकाता कार्यालय में प्रवर लिपिक की नौकरी की था। हालांकि साल 1963 में उन्होंने दक्षिण 24 परगना जिले के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति शाष्त्र पढ़ाना शुरू कर दिया था। प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1969 में हुई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाकर संसद में भेजा। 

2 बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे प्रणब मुखर्जी

राजनीति में एंट्री के बाद प्रणब मुखर्जी का कद तेजी से बढ़ता चला गया और जल्द ही वह इंदिरा गांधी के करीबियों में शामिल हो गए। साल 1973 में पहली बार प्रणब मुखर्जी केंद्र में मंत्री बनाए गए, लेकिन असली कामयाबी उन्होंने साल 1982 में बतौर वित्त मंत्री रहते हुए हासिल की। 1984 के सर्वे में उन्हें दुनिया का बेस्ट फाइनेंस मिनिस्टर करार दिया गया। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बना दिया। इसके बाद नाराज प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया, लेकिन 1989 में राजीव गांधी के साथ विवाद सुलझने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया। इसके बाद साल 2004 में जब कांग्रेस सत्ता में आई और सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया, तब उम्मीद थी कि प्रणब मुखर्जी को पीएम बनाया जाएगा, लेकिन यह पद मनमोहन सिंह को दिया गया।

मनमोहन सरकार में संभाले कई अहम मंत्रालय

साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने अपनी सरकार में प्रणब मुखर्जी को कई बड़ी जिम्मेदारियां दी। उन्होंने साल 1991 में योजना आयोग का अध्यक्ष और 1995 में विदेश मंत्री बनाया। साल 2004 में जब यूपीए केंद्र की सत्ता में आई तब भी प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया, हालांकि मनमोहन सरकार के कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी की गिनती नंबर 2 की होती रही। मनमोहन सिंह के 10 साल के कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी ने कई (रक्षा (2004-06), विदेश (2006-09) और वित्त (2009-12) कई अहम मंत्रालय संभाला।

राष्ट्रपति रहते हुए लिए कई बड़े फैसले

साल 2012 में यूपीए की ओर से वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने गए और जुलाई 2012 में उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया। बतौर राष्ट्रपति उन्होंने कई बड़े फैसले लिए। उन्होंने मौत की सजा पाए आतंकी अजमल कसाब, अफजल गुरु और याकूब मेमन समेत 24 लोगों की दया याचिका खारिज की थी। वह 2017 में इस पद से रिटायर हो गए और इसके साथ ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से भी संन्यास ले लिया था।

Web Title: Pranab Mukherjee dies: A look at his illustrious political career and journey

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