71 तबादला झेलने वाले IAS प्रदीप कासनी ने रिटायरमेंट के दिन खोले कई राज, सरकारों पर सवाल

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 28, 2018 03:21 PM2018-02-28T15:21:28+5:302018-02-28T15:21:28+5:30

प्रदीप कासनी रिटायरमेंट के बाद राजनीति में नहीं जाना चाहते। उनका कहना कि जीवन में इतने अनुभव मिले हैं कि वो उपन्यास लिखना पसंद करेंगे।

Pradeep Kasni interview who transferred 71 times in 34 years service | 71 तबादला झेलने वाले IAS प्रदीप कासनी ने रिटायरमेंट के दिन खोले कई राज, सरकारों पर सवाल

71 तबादला झेलने वाले IAS प्रदीप कासनी ने रिटायरमेंट के दिन खोले कई राज, सरकारों पर सवाल

हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप कासनी काफी चर्चित रहे हैं। चर्चा की वजह उनके तबादले हैं। 34 साल की नौकरी में उनका 71 बार तबादला किया गया। प्रदीप कासनी बुधवार (28 फरवरी) को रिटायर हो रहे हैं। अपने रिटायरमेंट के आखिरी दिन hindi.news18.com को दिए इंटरव्यू में उन्होंने 34 साल की सेवा के कई राज खोले। कासनी ने सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्हें अपनी सेवा में ईमानदारी की सजा भुगतनी पड़ी है। आखिरी ट्रांसफर को लेकर राज्य सरकार से उनकी कानूनी लड़ाई भी जारी है। क्योंकि जिस महकमें में उनका 71वां तबादला किया गया वो अस्तित्व में ही नहीं है।

ईमानदार को हर सरकार परेशान करती है

34 साल की नौकरी में प्रदीप कासनी ने कई सरकारों के साथ काम किया। उनका कहना है कि जो अफसर सिर्फ सैलरी के लिए काम करता है उसे सभी सरकारें परेशान करती हैं। मेरे ट्रांसफर के पीछे भी सरकार की शरारत थी। सरकार तय ही नहीं कर पाई कि मुझे कहां भेजा जाए, क्या काम कराया जाए। 

ट्रांसफर का मिला फायदा

प्रदीप कासनी का कहना है कि लगातार ट्रांसफर होने का एक फायदा भी है। आप लगभग सभी विभागों में काम कर लेते हैं। मुझे भी बहुत अनुभव मिला। उन्होंने बताया कि अंतिम तबादला बेहद खराब था क्योंकि इसमें कोई काम ही नहीं था। मेरा तबादला लैंड यूज बोर्ड में किया गया जो 2004 में खत्म हो चुका है।

इन मामलों में सीधा मुख्यमंत्री थे सामने

मामला-1ः एकबार तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल का फोन आया। उन्होंने किसी सरपंच की याचिका पर फेवर करने के लिए कहा। मैंने कहा यह कोर्ट का मामला है और मेरिट पर होगा। वो नाराज हो गए। 

मामला-2ः एक बार मुझे गुड़गांव डिवीजन का कमिश्नर लगाया गया। यहां मैंने पाया कि प्राइवेट कंपनियों ने सरकारी जमीन मिलाकर करीब 100 एकड़ का अवैध लाइसेंस लिया हुआ है। मामला करोड़ों का था तो मंत्री भी मिले हुए थे। यह एक बड़ा स्कैंडल था तो मैंने आवाज उठाई। परिणाम तो सबको पता है। 40 दिन के अंदर मेरा ट्रांसफर कर दिया गया। उस वक्त बीजेपी की सरकार थी।

प्रदीप कासनी रिटायरमेंट के बाद राजनीति में नहीं जाना चाहते। उनका कहना कि जीवन में इतने अनुभव मिले हैं कि वो उपन्यास लिखना पसंद करेंगे। उस उपन्यास में अपने सारे अनुभव डालेंगे।

Web Title: Pradeep Kasni interview who transferred 71 times in 34 years service

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