नेता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं, ऐसी मानसिकता से सख्ती से निपटने की जरूरत: इलाहाबाद हाईकोर्ट

By विशाल कुमार | Published: December 4, 2021 03:39 PM2021-12-04T15:39:32+5:302021-12-04T15:41:28+5:30

पुलिस लॉकअप में एक व्यक्ति की पिटाई करने के मामले में निचली अदालत से सजा पाने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व विधायक हरसतुल्लाह शेरवानी ने हाईकोर्ट में अपनी सजा रद्द करवाने और मामले के लंबित रहने तक जमानत पर रिहा करने की मांग कर रहे थे।

politicians-consider-themselves-above-law-need-tackle-menace-iron-hand-allahabad-high-court | नेता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं, ऐसी मानसिकता से सख्ती से निपटने की जरूरत: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)

Highlightsहाईकोर्ट ने आठ अन्य की जमानत मंजूर कर दी और सजा निलंबित कर दी।हाईकोर्ट ने कहा- विधायक का कर्तव्य है कि विधानसभा में कानून के दुरूपयोग के मुद्दे को उठाएं।इसके बजाय उन्होंने खुद कानून का दुरुपयोग किया और कानून को अपने हाथ में लिया।

लखनऊ:उत्तर प्रदेश विधानसभा के एक पूर्व विधायक को जमानत देने से इनकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल विधायक और राजनीतिक नेता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं. ऐसी मानसिकता को हल्के में नहीं लिया जा सकता है और सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

लॉइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने आगे कहा कि आरोपित विधायक का कर्तव्य है कि विधानसभा में कानून के दुरूपयोग के मुद्दे को उठाएं और उसका समाधान कराएं, लेकिन इसके बजाय उन्होंने खुद कानून का दुरुपयोग किया और कानून को अपने हाथ में लिया।

अदालत ने कहा कि उसने पुलिस कर्मियों पर थर्ड डिग्री अपनाने और उसे पुलिस लॉक अप में बंद करने के लिए दबाव डाला, आरोपी का यह कृत्य पुलिस तंत्र का दुरुपयोग है, इसलिए उसका कृत्य निंदा के बजाय सहानुभूति का पात्र नहीं है।

पुलिस लॉकअप में एक व्यक्ति की पिटाई करने के मामले में निचली अदालत से सजा पाने वाले पूर्व विधायक हरसतुल्लाह शेरवानी ने हाईकोर्ट में अपनी सजा रद्द करवाने और मामले के लंबित रहने तक जमानत पर रिहा करने की मांग कर रहे थे।

हालांकि, हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक की जमानत याचिका खारिज करते हुए उसी मामले में शामिल आठ अन्य लोगों की जमानत याचिका मंजूर कर दी और याचिका लंबित रहने तक सजा निलंबित कर दी।

सिंतबर 2012 में उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक मुखबिर शमशाद ने एफआईआर दर्ज करवाई थी कि मई 2011 में उनके खिलाफ एक झूठी रिपोर्ट बनाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और लॉक अप में बंद कर दिया था।

इसके बाद अगस्त 2011 में आरोपी ने पुलिस स्टेशन आकर पहले पुलिस को उसके हाथ और पैर से अपंग होने तक पिटाई करने या परिणाण भुगतने के लिए तैयार रहने के लिए कहा।

बाद में राइफल और बंदूक लिए शेरवानी और डंडे लिए उनके समर्थकों ने शमशाद की लॉकअप के बाहर से ही पिटाई की और एसओ राममूर्ति यादव के दखल के बाद छोड़ा।

Web Title: politicians-consider-themselves-above-law-need-tackle-menace-iron-hand-allahabad-high-court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे