राजनीतिक दल अपने सांसदों के लिए आचार संहिता बनाए : वैंकया नायडू
By संतोष ठाकुर | Published: August 10, 2019 05:42 AM2019-08-10T05:42:09+5:302019-08-10T05:42:09+5:30
9 अगस्त अपनी खास वाक् शैली और राज्यसभा को परिवार के मुखिया के रूप में चलाने के लिए प्रसिद्ध उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू एक दिन बाद अपने पद पर दो वर्ष पूरे करने वाले हैं
9 अगस्त अपनी खास वाक् शैली और राज्यसभा को परिवार के मुखिया के रूप में चलाने के लिए प्रसिद्ध उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू एक दिन बाद अपने पद पर दो वर्ष पूरे करने वाले हैं. इससे पहले उन्होंने संसद में बहस के गिरते स्तर और सांसदों के व्यवहार पर चिंता जाहिर करते हुए कहा सभी राजनीतिक दलों को अपने सांसदों के लिए आचार संहिता बनानी चाहिए.
इसमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि संसद में उनका आचरण कैसा होगा, वह आसंदी के निकट नहीं जाएंगे, सदन में कोई कागज नहीं फाड़ेंगे और न ही काजगों को अन्य सदस्यों की ओर फेकेंगे. इतना ही नहीं चुने गए सभी सांसदों की शत प्रतिशत उपस्थिति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए.
नायडू ने कहा कि वह सिर्फ सांसदों के लिए ही नहीं, बल्कि देश की सभी विधानसभाओं के लिए भी चुने जाने वालों जन प्रतिनिधियों के लिए कड़े नियमों के पक्षधर हैं. सभी दलों को इस पर विचार करना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद हो या विधानसभा वही रहेगी लेकिन सरकार बदलती रहेगी. कुछ समय एक दल तो उसके बाद किसी अन्य दल की सरकार आएगी.
ऐसे में सभी दलों की यह निजी जिम्मेदारी बनती है कि उसके जनप्रतिनिधि अनुकरणीय हों. पक्ष-विपक्ष में परस्पर संवाद हो उप राष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच परस्पर संवाद होते रहना बहेद जरूरी है. सत्ता में बैठे दल को चाहिए कि वह किसी भी विधेयक या कानून को लाने से पहले विपक्ष से परस्पर बातचीत करे. वहीं, विपक्ष को भी चाहिए कि वह तार्किक आधार पर किसी विधेयक और कानून का विरोध करे. क्योंकि देश के लोगों ने सभी सांसदों को चुनकर भेजा है अत: उनका दायित्व बनाता है कि वे जनता की आवाज बनें.