बिहार में अपराध पर अंकुश लगाने में पुलिस हो रही है विफल, हर दिन नौ हत्या और दुष्कर्म की चार घटनाएं हो रही हैं घटित

By एस पी सिन्हा | Updated: June 16, 2025 15:08 IST2025-06-16T15:07:55+5:302025-06-16T15:08:02+5:30

हाल यह है कि बिहार में हर दिन नौ हत्या और दुष्कर्म की चार घटनाएं घटित हो रही हैं। हिंसक अपराधों की सबसे अधिक संख्या वाले शीर्ष 10 जिलों में से सात ये हैं- पटना, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, नालंदा और बेगूसराय। 

Police is failing to curb crime in Bihar, every day nine murders and four rape incidents are happening | बिहार में अपराध पर अंकुश लगाने में पुलिस हो रही है विफल, हर दिन नौ हत्या और दुष्कर्म की चार घटनाएं हो रही हैं घटित

बिहार में अपराध पर अंकुश लगाने में पुलिस हो रही है विफल, हर दिन नौ हत्या और दुष्कर्म की चार घटनाएं हो रही हैं घटित

पटना: बिहार में इन दिनों अपराधी पूरे प्रदेश में तांडव मचाने में जुटे हैं और एक के बाद एक जघन्य घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं। बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा की गई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के बावजूद अपराध पर अंकुश लगाने में पुलिस विफल साबित हो रही है। हाल यह है कि बिहार में हर दिन नौ हत्या और दुष्कर्म की चार घटनाएं घटित हो रही हैं। हिंसक अपराधों की सबसे अधिक संख्या वाले शीर्ष 10 जिलों में से सात ये हैं- पटना, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, नालंदा और बेगूसराय। 

ये उन शीर्ष 10 जिलों में से भी हैं जिनमें सबसे अधिक आर्म्स एक्ट के मामले हैं। हत्या के मामलों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा घटनाएं राजधानी पटना में हुई हैं, जहां पिछले 4 महीने में 159 हत्या की घटनाएं हुई है। जबकि दूसरे नंबर पर गया जिला है, जहां 138 हत्याएं हुई हैं। इसी अवधि में 134 हत्याओं के साथ मुजफ्फरपुर तीसरे नंबर पर है। यानी हर 25 घंटे में एक हत्या की घटना हुई है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि राज्य की राजधानी हिंसा की राजधानी बन चुकी है।

पटना के बाद क्रमश: मोतिहारी में 49.53, सारण 44.08, गया 43.50, मुजफ्फरपुर 39.93 और वैशाली में 37.90 मामले प्रति वर्ष औसतन दर्ज किए जा रहे हैं। बिहार में राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं की हत्या का आंकड़ा देखें तो महज़ एक अगस्त से 9 सितंबर तक कम से कम सात नेताओं की हत्या राज्य के अलग अलग हिस्सों में हो चुकी है। बिहार में एक साल में जमीन विवाद के 3336 मामले दर्ज किए गए, जो सर्वाधिक थे। प्रति एक लाख की आबादी पर जमीन विवाद की दर 2.7 है। 

2021 में हत्या के 2799 कांडों के साथ बिहार देश में दूसरे स्थान पर है। चोरी के मामले में बिहार का तीसरा स्थान है। बिहार में 38,277 मामले दर्ज किए गए हैं। दूसरी तरफ बढ़ते अपराध को लेकर पुलिस के अपने तर्क हैं। एडीजी(मुख्यालय) कुंदन कृष्णन का कहना है कि राज्य में हत्या के जो मामले सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर घटनाओं के पीछे जमीनी विवाद या आपसी रंजिश वजह है। 

दुष्कर्म के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर दिन चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं घटित हो रही हैं। ऐसे में पुलिस ने राज्य में तेजी से बढ़ रही हिंसा को देखते हुए इसमें कमी लाने के उपायों पर विचार कर रही है। कुंदन क्रिष्णन का मानना है कि पिछले 10 वर्षों में राज्य में फर्जी शस्त्र लाइसेंस, अवैध बंदूक और गोला व बारूद की अधिकृत तौर पर बिक्री बढ़ी है और यह प्रदेश में बढ़ रही हिंसा की बड़ी वजह है। 

राज्य के अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने इस दिशा में एक अध्ययन भी किया है। अध्ययन में वर्ष 2015 से 2024 के बीच के अपराधों के आंकड़ों के विश्लेषण को शामिल किया गया है। बिहार पुलिस ने यह अध्ययन बिहार पुलिस के महानिदेशक विनय कुमार को सुपुर्द कर दिया है। बिहार पुलिस ने आंकड़ों से बताया कि राज्य में अपराध दर अन्य राज्यों से कम है। 

कुंदन कृष्णन के मुताबिक ‘इस साल 1 जनवरी से 7 अप्रैल तक पुलिस पर हमले के मामलों में 947 दोषियों की गिरफ्तारी की गई है। लूट के मामलों में 697 और डकैती के मामलों में 281 दोषियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि एनसीआरबी के अनुसार, अपराध दर के आधार पर प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का देशभर में हत्या के मामलों में 14वां स्थान है। 

एडीजी(मुख्यालय) के मुताबिक अधिकांश घटनाएं जो हुई हैं वे व्यक्तिगत दुश्मनी, विवाद, अवैध संबंधों एवं प्रेम प्रसंग के कारण हुई हैं। बता दें कि बिहार में एनडीए गठबंधन की पार्टियां राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के शासन काल को ‘जंगलराज’ कहती रही हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने भाषणों में जंगलराज शब्द का इस्तेमाल करते रहे। 

जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार बिहार का 'अपराध बुलेटिन' जारी कर रहे हैं। इस बुलेटिन में राज्य में हो रही अपराध की घटनाओं की हेडलाइंस होती हैं और कई बार उन्हें ‘रिकॉर्ड तोड़ अपराध’ की संज्ञा दी जाती है।

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