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PM-PRANAM Scheme: पीएम किसान सम्मान के बाद एक और गेम चेंजर!, मोदी सरकार की नई योजना के बारे में जानें, कैसे करोड़ों किसान को होगा फायदा, यहां जानिए

By सतीश कुमार सिंह | Updated: June 28, 2023 20:32 IST

PM-PRANAM Scheme: 3.68 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मौजूदा यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक जारी रखने का भी फैसला किया।

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ठळक मुद्देवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा बजट में की थी। जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी के परिव्यय को मंजूरी दी। कुल पैकेज 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

PM-PRANAM Scheme: केंद्र सरकार ने किसानों को एक और खुशखबरी दी है। करोड़ों किसान इस स्कीम से लाभ कमा सकते हैं। पीएम किसान सम्मान (6000 रुपये हर साल), किसान क्रेडिट कार्ड के बाद नई योजना पीएम-प्रणाम की घोषणा कर चुनावी साल में डुगडुगी बजा दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा बजट में की थी। 

केंद्र ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करने के मकसद से राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए बुधवार को एक नई योजना पीएम-प्रणाम को मंजूरी दी। साथ ही 3.68 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मौजूदा यूरिया सब्सिडी योजना को मार्च 2025 तक जारी रखने का भी फैसला किया।

देश में सल्फर-लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) पेश करने का भी निर्णय लिया

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी के परिव्यय को मंजूरी दी। इससे कुल पैकेज 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। सीसीईए ने मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए पहली बार देश में सल्फर-लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) पेश करने का भी निर्णय लिया।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, ‘‘सीसीईए ने पीएम-प्रणाम (धरती की पुनर्स्थापना, जागरूकता, सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम) योजना को मंजूरी दे दी है।’’ उन्होंने कहा, "पीएम-प्रणाम का उद्देश्य मिट्टी को बचाना और उर्वरकों के निरंतर संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना है।

सब्सिडी में से 50 प्रतिशत यानी 1,500 करोड़ रुपये

इस योजना में राज्य सरकारों की भागीदारी शामिल है।" मंडाविया ने कहा कि योजना के तहत, जो राज्य वैकल्पिक उर्वरक अपनाएंगे, उन्हें रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके बचाई जाने वाली सब्सिडी से प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर 10 लाख टन परंपरागत उर्वरक का उपयोग करने वाला राज्य इसकी खपत में तीन लाख टन की कमी लाता है, तब 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत होगी। इस बची हुई सब्सिडी में से 50 प्रतिशत यानी 1,500 करोड़ रुपये उस राज्य को वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग और अन्य विकास कार्यों के लिये दिये जाएंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश 2023-24 के बजट में पीएम प्रणाम योजना लागू करने की घोषणा की थी। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सीसीईए ने 3,70,128.7 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ किसानों के लिए नवीन योजनाओं के एक "अनूठे पैकेज" को मंजूरी दी।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी

इसमें कहा गया है, "योजनाओं का यह समूह, टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर किसानों की समग्र भलाई और आर्थिक बेहतरी पर केंद्रित है। इस पहल से किसानों की आय बढ़ेगी, प्राकृतिक/जैविक खेती मजबूत होगी, मिट्टी की उत्पादकता फिर से जीवंत होगी और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।"

सीसीईए ने विभिन्न करों और नीम लेपन शुल्क को छोड़कर, 242 रुपये प्रति 45 किलो बैग की समान कीमत पर किसानों को उर्वरक की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी। कुल पैकेज में से 3,68,676.7 करोड़ रुपये तीन साल (2022-23 से 2024-25) के लिए यूरिया सब्सिडी के लिए तय किया गया है।

यूरिया, डीएपी और एनपीके उर्वरकों का उपयोग कर रहा

यह खरीफ सत्र 2023-24 के दौरान फॉस्फेटिक और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए हाल ही में स्वीकृत 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी के अतिरिक्त है। मंडाविया ने सल्फर-लेपित यूरिया पर कहा कि देश पिछले 67 साल से केवल यूरिया, डीएपी और एनपीके उर्वरकों का उपयोग कर रहा है।

वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के प्रयास पहले नहीं हो सके। हालाँकि, मोदी सरकार ने यह काम शुरू किया। सल्फर-लेपित यूरिया अन्य प्रकार के यूरिया की तुलना में अधिक किफायती और कुशल है। उदाहरण के लिए, पारंपरिक यूरिया में नाइट्रोजन अवशोषण 30 प्रतिशत, नीम-लेपित यूरिया में 50 प्रतिशत और नैनो यूरिया में 80 प्रतिशत है।

सल्फर-लेपित यूरिया नाइट्रोजन अवशोषण क्षमता को 78 प्रतिशत तक बढ़ा देगा। बयान में कहा गया है, "यह देश में मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगा। इससे किसानों के लिए कच्चे माल की लागत भी बचेगी और उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के साथ कृषकों की आय भी बढ़ेगी।"

1,500 रुपये प्रति टन की सब्सिडी प्रदान की जाएगी

जैविक खाद को सहायता प्रदान करने के संदर्भ में, मंत्री ने कहा कि गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरक को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए) के लिए 1,451.84 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। योजना के तहत, गोबरधन पहल के तहत बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित किए गए बायोगैस संयंत्रों/कॉम्प्रेस्ड बॉयोगैस संयंत्रों से उप-उत्पादों के रूप में उत्पादित जैविक उर्वरकों - किण्वित कार्बनिक खाद (एफओएम)/तरल एफओएम/फॉस्फेट समृद्ध कार्बनिक खाद (पीआरओएम) के विपणन का समर्थन करने के लिए 1,500 रुपये प्रति टन की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

मंडाविया ने कहा कि केंद्र ने वर्ष 2022-23 के दौरान उर्वरक सब्सिडी, पीएम-किसान, मूल्य स्थिरीकरण निधि, एमएसपी पर खरीद पर खर्च और एनआरएलएम जैसी पांच योजनाओं के तहत 6,30,890 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रति किसान औसतन 52,574 रुपये और प्रति एकड़ 18,108 रुपये का लाभ होता है। उन्होंने कहा कि देश में 12 करोड़ किसान हैं।

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