कांग्रेस पर मोदी का हमला- 55-60 वर्ष तक देश को चलाने वाला दल 17 राज्यों में एक सीट नहीं जीत पाया तो क्या इसका मतलब देश हार गया?
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: June 26, 2019 02:40 PM2019-06-26T14:40:28+5:302019-06-26T14:58:31+5:30
पीएम मोदी ने कहा, ''मैं पूछना चाहूंगा कि क्या वायनाड में हिंदुस्तान हार गया क्या? क्या रायबरेली में हिन्दुस्तान हार गया? क्या बहरामपुर और तिरुवनंतपुरम में हिंदुस्तान हार गया क्या? और क्या अमेठी में हिंदुस्तान हार गया? मतलब कांग्रेस हारी तो देश हार गया क्या? अहंकार की भी एक सीमा होती है।''
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर जमकर हमला किया। पीएम मोदी ने कहा, ''इतने बड़े जनादेश को कुछ लोग ये कह दें कि आप तो चुनाव जीत गए लेकिन देश चुनाव हार गया। मैं समझता हूं कि इससे बड़ा भारत के लोकतंत्र और जनता जनार्दन का कोई अपमान नहीं हो सकता है।''
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला जारी रखा और कहा, ''मैं पूछना चाहूंगा कि क्या वायनाड में हिंदुस्तान हार गया क्या? क्या रायबरेली में हिन्दुस्तान हार गया? क्या बहरामपुर और तिरुवनंतपुरम में हिंदुस्तान हार गया क्या? और क्या अमेठी में हिंदुस्तान हार गया? मतलब कांग्रेस हारी तो देश हार गया क्या? अहंकार की भी एक सीमा होती है।''
इसके अलावा पीएम मोदी ने कई मुद्दों पर कांग्रेस पर हमला जारी रखा। उन्होंने कहा, मैं हैरान हूं, मीडिया को भी गाली दी गई कि मीडिया के कारण चुनाव जीते जाते हैं। मीडिया बिकाऊ है क्या? जो खरीद कर चुनाव जीत लिए जाएं। तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी यही लागू होगा क्या?
ये तक कह दिया कि देश का किसान बिकाऊ है। दो-दो हजार रुपये की योजना के कारण किसानों के वोट खरीद लिए गए। मैं मानता हूं कि मेरे देश का किसान बिकाऊ नहीं हो सकता। ऐसी बात कहकर देश के करीब 15 करोड़ किसान परिवारों को अपमानित किया गया है।
55-60 वर्ष तक देश को चलाने वाला एक दल 17 राज्यों में एक भी सीट नहीं जीत पाया तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि देश हार गया?
जब स्वयं पर भरोसा नहीं होता है, सामर्थ्य का अभाव होता है, तब फिर बहाने ढूंढे जाते हैं।
आत्मचिंतन करने और अपनी गलतियों को स्वीकारने की जिनकी तैयारी नहीं होती वो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं। जिससे अपने साथियों को बताया जाये कि देखो देखो हम तो ईवीएम के कारण हारे।
इस चुनाव की एक विशेषता है कि ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ सभी कोने से बहुमत के साथ बीजेपी और एनडीए जीतकर आया हैं। जो हार गए हैं, जिनके सपने चूर-चूर हो गए वो मतदाताओं का अभिनंदन नहीं कर सकते होंगे।
मैं मतदाताओं का सिर झुकाकर कोटि-कोटि अभिनंदन करता हूं। कभी सदन में हम भी 2 रह गए थे। हमको 2 या 3 बस, कहकर बार-बार हमारी मजाक उड़ायी जाती थी। लेकिन हमें कार्यकर्ताओं पर भरोसा था, देश की जनता पर भरोसा था। हममें परिश्रम करने की पराकाष्ठा थी और इससे हमने फिर से पार्टी को खड़ा किया। हमने ईवीएम पर दोष नहीं दिया था।
कांग्रेस की कुछ न कुछ ऐसी समस्या है कि ये विजय को भी नहीं पचा पाते और 2014 के बाद से मैं देख रहा हूं कि ये पराजय को भी स्वीकार नहीं कर पाते।
चुनाव प्रक्रिया में सुधार होते रहे हैं और होते रहने चाहिए। खुले मन से इस पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन बिना चर्चा के ये कह देना कि हम एक देश-एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, कम से कम चर्चा तो करनी चाहिए। ये समय की मांग है कि देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो।''