भोपालः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में पुनर्विकसित रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया। पीएम ने कहा कि अगले दो साल में होगा 75 नई वंदे भारत ट्रेन का परिचालन होगा। आज का दिन भोपाल के लिए, मध्य प्रदेश के लिए और पूरे देश के लिए गौरवपूर्ण इतिहास और वैभवशाली भविष्य के संगम का दिन है।
भारतीय रेल का भविष्य कितना आधुनिक और उज्जवल है, इसका प्रतिबिंब भोपाल के इस आधुनिक स्टेशन पर जो भी आएगा, उसे दिखाई देगा। आज भारत, अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद पहली बार पूरे देश के जनजातीय समाज की कला-संस्कृति को, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने जनजातीय समुदाय को उसका हक नहीं दिया और उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा है। पहले की सरकारों के दौरान पिछड़े रहे 100 आकांक्षी जिलों में विकास हो रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत कैसे बदल रहा है, सपने कैसे सच हो सकते हैं, ये देखना हो तो आज इसका उत्तम उदाहरण भारतीय रेलवे भी बन रहा है। 6 वर्ष पहले तक जिसका भी पाला भारतीय रेलवे से पड़ता था वो भारतीय रेल को कोसते हुए जाता नजर आता था।
आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के रूप में देश का पहला ISO सर्टिफाइड, देश का पहला पीपीपी मॉडल आधारित रेलवे स्टेशन देश को समर्पित किया गया है। जो सुविधाएं कभी एयरपोर्ट में मिला करती थीं, वो आज रेलवे स्टेशन में मिल रही हैं। आज का भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए रिकॉर्ड Investment तो कर ही रहा है, ये भी सुनिश्चित कर रहा है कि प्रोजेक्ट्स में देरी ना हो। हाल में शुरू हुआ, पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान, इसी संकल्प की सिद्धि में देश की मदद करेगा।
रेलवे स्टेशन के पूरे ईको सिस्टम को इसी प्रकार ट्रांसफार्म करने के लिए आज देश के 175 से अधिक रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आज भारत आने वाले वर्षों के लिए खुद को तैयार कर रहा है, बड़े लक्ष्यों पर काम कर रहा है।
बीते 7 वर्षों में हर वर्ष औसतन 2,500 किमी ट्रैक कमीशन किया गया है। जबकि उससे पहले के वर्षों में ये 1,500 किमी के आस-पास ही होता था। पहले की तुलना में इन वर्षों में रेलवे ट्रैक के बिजलीकरण की रफ्तार पांच गुना से अधिक हुई है।
पहले रेलवे को टूरिज्म के लिए अगर उपयोग किया भी गया, तो उसको एक प्रीमियम क्लब तक ही सीमित रखा गया। पहली बार सामान्य मानवी को उचित राशि पर पर्यटन और तीर्थाटन का दिव्य अनुभव दिया जा रहा है। रामायण सर्किट ट्रेन ऐसा ही एक अभिनव प्रयास है।