पीएम नरेंद्र मोदी अब छंटनी की राह पर, 50 की उम्र से ज्यादा वाले कर्मियों को किया जा सकता है बाहर
By हरीश गुप्ता | Published: September 7, 2020 06:38 AM2020-09-07T06:38:35+5:302020-09-07T10:35:27+5:30
केंद्र सरकार की ओर से अब हर तीन महीने पर सरकारी कर्मचारियों की कामकाज की समीक्षा की तैयारी की जा रही है. इसमें अब 50 वर्ष की उम्र होने पर भी कार्यक्षमता जांची जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'जिम्मेदार, जवाबदेह और कुशल प्रशासन' की योजना के कारण 36 लाख सरकारी कर्मी दहशत में है. प्रधानमंत्री के तहत आने वाले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 10 पन्नों का सर्कुलर जारी किया है, जिसमें हर तीन माह पर कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा करने की बात कही गई है. अब तक यह विभाग वार्षिक समीक्षा किया करता था.
इसका उद्देश्य उन लोगों को छांटना है, जिनकी कार्यक्षमता, कार्यसमर्पण या वफादारी संदिग्ध है. पहले इस समीक्षा के तहत 55 वर्ष से अधिक उम्र वालों पर छंटनी की तलवार लटका करती थी, लेकिन अब 50 वर्ष की उम्र होने पर भी कार्यक्षमता जांची जाएगी. अब तक 'ए' और 'बी' श्रेणी के 320 कर्मचारियों को विदा किया जा चुका है. अब यह काम हर श्रेणी और स्तर पर करने की तैयारी है.
पहली समीक्षा दिसंबर, 2020 तक
डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिए हैं कि पहली समीक्षा दिसंबर, 2020 तक कर ली जाए. नए वर्ष से नियमित रूप से हर तिमाही पर इस तरह की समीक्षा की जाए.
मोदी भले के देश के हालात के लिए कांग्रेस के कार्यकाल को जिम्मेदार ठहराते हों, लेकिन प्रशासन से भ्रष्टाचार की सफाई के लिए वे पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी के 1972 के कानून को लागू कर रहे हैं.
यह कानून 1972 में इंदिरा गांधी सरकार ने बनाए थे, जिसके तहत कोई भी सरकार उनमें मनमुताबिक बदलाव कर सकती है. कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण नई नियुक्तियों की रफ्तार भी धीमी हो गई है.आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे समेत केंद्र में 6.80 लाख पद रिक्त हैं. सार्वजनिक क्षेत्र में फिलहाल सभी नियुक्तियों पर रोक लगी है.