पीएम मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को लिखा पत्र, बकरीद की बधाई देते हुए कही ये बात
By सुमित राय | Published: July 31, 2020 09:45 PM2020-07-31T21:45:50+5:302020-07-31T22:01:07+5:30
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को पत्र लिखकर ईद-उल-अजहा की बधाई दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को शुक्रवार को ईद-उल-अजहा की बधाई दी। पीएम हसीना को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा, "मैं इस अवसर पर आपके और बांग्लादेशी के सभी भाइयों और बहनों के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता हूं।"
बता दें कि पिछले कुछ समय में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते प्रगाढ़ हुए है और कुछ दिनों पहले ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपनी 'पड़ोसी पहले' नीति के तहत बांग्लादेश रेलवे को 10 ब्रॉड गेज डीजल इंजन हरी झंडी दिखाकर रवाना किए थे।
Prime Minister Narendra Modi conveys Eid-ul-Azha greetings to Bangladesh PM Sheikh Hasina. In a letter to PM Hasina, he writes, "On this occasion, I wish you and all my Bangladeshi brothers and sisters good health and prosperity."
— ANI (@ANI) July 31, 2020
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जानें बकरीद की कुर्बानी की कहानी
इस्लाम धर्म में कुर्बानी तेने की परंपरा पैगंबर हजरत इब्राहिम ने शुरू की थी। मान्यताओं के अनुसार, इब्राहिम अलैय सलाम की कोई संतान या औलाद नहीं थी। इन्होंने औलाद के लिए कई मिन्नतें मांगी। अल्लाह ने उनकी मिन्नतें सुनकर उन्हें औलाद दी। हजरत इब्राहिम ने इस बच्चे का नाम इस्माइल रखा। हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल से बेहद प्यार करते थे। इसी बीच एक रात ऐसी आई जब अल्लाह ने इब्राहिम से कहा कि उसे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देनी होगी। तो इब्राहिम ने एक-एक कर अपने जानवरों की कुर्बानी दी। इसके बाद भी अल्लाह उसके सपने में आए और उन्होंने फिर से उसे आदेश दिया कि उसे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देनी होगी।
हजरत इब्राहिम को अपने बेटे से बेहद प्यार था। अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल कुर्बानी देने को तैयार कर दिया। अपनी बेटे की हत्या न देख पाए इसलिए उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। फिर उसने अपने बेटे की कुर्बानी दे दी। कुर्बानी देने के बाद जब उसने अपनी आंखें खोली तो देखा कि उसका बेटा तो जीवित है। वह यह दृश्य देखकर हैरान रह गया। अपने बेटे को जीवित देख वो बेहद खुश हुआ। अल्लाह ने इब्राहिम की निष्ठा देख उसके बेटे की जगह बकरा रख दिया था। बस तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि लोग बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देते हैं। साथ ही बकरों की कुर्बानी देकर लोग इब्राहिम द्वारा दी गई कुर्बानी को याद करते हैं।