प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा समारोह में हुए शामिल, लोगों का उमड़ा जनसैलाब
By रुस्तम राणा | Published: October 5, 2022 04:31 PM2022-10-05T16:31:04+5:302022-10-05T16:46:35+5:30
कुल्लू के अंतरराष्ट्रीय दशहरा समारोह में पीएम मोदी ने भगवान रघुनाथ के आगे नतमस्तक हुए और माथा टेका। भगवान रघुनाथ की ओर से पीएम मोदी को फूलों की माला, दुपट्टा और प्रसाद भेंट की गई।
कुल्लू: हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू का दशहरा दुनियाभर में मशहूर है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुल्लू के अंतरराष्ट्रीय दशहरा समारोह में शामिल हुए हैं। इस दौरान उनके साथ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद रहे।
इस समारोह में लोगों का जनसैलाब उमड़ा है। यहां पीएम मोदी ने भगवान रघुनाथ के आगे नतमस्तक हुए और माथा टेका। भगवान रघुनाथ की ओर से पीएम मोदी को फूलों की माला, दुपट्टा और प्रसाद भेंट की गई। इससे पहले पीएम मोदी ने हिमाचल के बिलासपुर में भी एक जनसभा को संबोधित किया।
#WATCH | Himachal Pradesh: Prime Minister Narendra Modi participates in Dussehra Rath Yatra during International #Dussehra celebrations in Kullu
— ANI (@ANI) October 5, 2022
(Source: DD) pic.twitter.com/nwMHfnOJG5
बिलासपुर में किया एम्स का उद्घाटन
यहां उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2017 में इसका शिलान्यास भी किया था। केंद्रीय क्षेत्र की योजना- प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत इसे स्थापित किया गया है। एम्स बिलासपुर, 1,470 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित है। इस अत्याधुनिक अस्पताल में 18 स्पेशियलिटी और 17 सुपर स्पेशियलिटी विभाग, 18 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, 64 आईसीयू बेड के साथ 750 बेड शामिल है।
आधुनिक सुविधाओं से लैस बिलासपुर एम्स
यह अस्पताल 247 एकड़ में फैला है। यह 24 घंटे आपातकालीन और डायलिसिस सुविधाओं, अल्ट्रासोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआई आदि जैसी आधुनिक डायग्नोस्टिक मशीनों, अमृत फार्मेसी व जन औषधि केंद्र और 30 बिस्तरों वाले आयुष ब्लॉक से सुसज्जित है। इस अस्पताल ने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय और दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य केंद्र भी स्थापित किया है।
यहां 100 विद्यार्थियों को दिया है एमबीबीएस में दाखिला
अस्पताल द्वारा काजा, सलूनी और केलांग जैसे दुर्गम जनजातीय और अधिक ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इस अस्पताल में हर साल एमबीबीएस कोर्स के लिए 100 विद्यार्थियों और नर्सिंग कोर्स के लिए 60 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा।