पीएम मोदी बोले-आत्मनिर्भर भारत में बढ़ रही है कुशल युवाओं की भूमिका, विकास की ओर भारत अग्रसर होगा
By एसके गुप्ता | Published: April 14, 2021 07:36 PM2021-04-14T19:36:09+5:302021-04-14T19:37:12+5:30
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ना सिर्फ अत्याधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप है बल्कि यह जितनी व्यवहारिक है, इसका क्रियान्वयन भी उतना ही व्यवहारिक है।
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में हम सभी विश्वविद्यालयों को मल्टीडिसीप्लिनरी बनाने और छात्रों को स्किल के साथ पढ़ने की फ्लैक्सिबिलिटी देने पर जोर है।
इसमें मल्टीपल एग्जिट के साथ च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को लागू किया गया है। जिससे छात्र की पढ़ाई बीच में छूटे तो उसके हाथ में एक सर्टिफिकेट या डिग्री जरूर हो। मोदी ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) की 95वीं वार्षिक में कुलपतियों के राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमारे युवा वह कर सकते हैं, जो वह करना चाहते हैं। इसलिए देश का खास जोर कौशल विकास पर है। आज देश जैसे-जैसे आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर आगे बढ़ रहा है, कुशल युवाओं की भूमिका और उनकी मांग भी बढ़ती ही जा रही है।’’
पीएम मोदी ने डॉ भीमराव अंबेडकर पर किशोर मकवाने द्वारा लिखित पुस्तकों का विमेचन किया। उन्होंने कहा कि "देश बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलते हुए तेजी से गरीब, वंचित, शोषित, पीड़ित सभी के जीवन में बदलाव ला रहा है। बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी। देश आज जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि "आजादी की लड़ाई में हमारे लाखों-करोड़ों स्वाधीनता सेनानियों ने समरस, समावेशी भारत का सपना देखा था। उन सपनों को पूरा करने की शुरुआत बाबासाहेब ने देश को संविधान देकर की थी। बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है।
इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि "पहला- वो क्या कर सकते हैं? दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं? और तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं।" नई शिक्षा नीति में छात्रों को सिखाकर यानि स्किल देकर वह क्या कर सकते हैं? यही सब दिखाने का प्रयास है।
छात्रों की क्षमता और इंस्टीट्यूशन की सीख जब मिलेगी तो छात्रों की क्षमता कई गुना बढ़ेगी और विज्ञान से विकास की ओर भारत अग्रसर होगा। मोदी ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों की बात की थी, वो ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में दिखते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति जितनी व्यावहारिक है, उतना ही व्यावहारिक इसे लागू करना भी है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि नागरिकों के समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है और देश प्रगति करता है। उन्होंने कहा, ‘‘डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा के भारतीय चरित्र पर जोर देते थे। आज के वैश्विक परिदृश्य में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अत्याधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं। मोदी ने कहा कि डॉ राधाकृष्णन ने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं की बात की थी और वही इस शिक्षा नीति के मूल में दिखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर लगातार विशेषज्ञों से चर्चा करता रहा हूं। यह जितनी व्यवहारिक है, इसका क्रियान्वयन भी उतना ही व्यवहारिक है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हर छात्र की अपनी एक सामर्थ्य होती है और शिक्षक जब उसकी आंतरिक क्षमता के साथ संस्थागत क्षमता दे दे तो उनका (छात्रों का) विकास व्यापक हो जाता है।
दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन अहमदाबाद स्थित बाबा साहेब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है। इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, राज्यपाल आचार्य देवव्रत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी हिस्सा लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहेब आंबेडकर के जीवन पर आधारित और किशोर मकवाना द्वारा लिखित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया।