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किसानों से खुद बात करें प्रधानमंत्री मोदी : गहलोत

By भाषा | Updated: January 30, 2021 19:44 IST

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जयपुर, 30 जनवरी राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि देश में किसानों के इतने दिन तक आंदोलन पर बैठे रहना देशहित में नहीं हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद किसानों से बात करनी चाहिए।

इसके साथ ही उन्‍होंने 26 जनवरी को नयी दिल्‍ली में हुई हिंसक घटनाओं की न्‍यायिक जांच करवाने की मांग की।

गहलोत ने इस आंदोलन के बारे में पूछे जाने पर यहां संवाददाताओं से कहा,‘‘ मैं समझता हूं कि अब भी मौका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं किसानों को बुलाकर बातचीत करें, रास्ता कोई निकल सकता है। लंबे समय तक इस प्रकार का आन्दोलन उचित नहीं कहा जा सकता और देश के हित में भी नहीं है।’’

उन्‍होंने कहा कि जिनको अन्नदाता कहते हैं उनकी अपनी आशंकाएं हैं, वे चिंतित हैं खुद के लिए, अपने परिवार के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए, तो स्वाभाविक है कि इस प्रकार का माहौल बनता है।

इस आंदोलन का जल्‍द समाधान निकालने की बात करते हुए गहलोत ने कहा,‘‘ मैं उम्मीद करता हूं प्रधानमंत्री खुद गौर करेंगे। कृषि मंत्री के साथ वार्ताओं का लंबा दौर चल चुका है और मैं समझता हूं कि यह ‘प्रतिष्‍ठा का सवाल’ नहीं होना चाहिए।’’

गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में कई बार फैसले बदले जाते हैं।

उन्होंने किसानों की ट्रैक्‍टर परेड के दौरान 26 जनवरी को नयी दिल्‍ली में हुई हिंसक घटनाओं पर कहा कि जो कुछ भी हुआ उसका कोई समर्थन नहीं कर सकता, हम उसकी निंदा करते हैं क्योंकि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होता है और कुछ समाजकंटक तत्‍वों ने जिस प्रकार से लाल किले पर तमाश किया, उसकी सभी ने घोर निंदा की है और हम चाहेंगे कि किसान शांति के साथ अपनी बात रखें, पूरे देश के किसान उनके साथ हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में जो रुख अख्तियार किया है उसे उचित नहीं कहा जा सकता है।

गहलोत ने गणतंत्र दिवस पर हुई घटनाओं में कुछ ‘विवादास्‍पद’ लोगों के शामिल होने के सवाल पर कहा,‘‘ अब यह तो जांच का विषय है कि क्या स्थिति बनी है, क्या स्थिति बनी होगी, किस कारण से ये घटनाएं हुईं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने तो कहा है कि इसके लिए न्‍यायिक जांच क्यों नहीं बैठाई जा रही है? अगर न्‍यायिक बैठाते, तो आपको मालूम पड़ता वास्तव में जो लोग लगभग 70 दिन तक शांति के साथ बैठे हुए थे, वो तो ऐसी गड़बड़ी नहीं कर सकते और ऐसी क्या स्थिति बन गई कि कुछ लोग आकर लाल किले तक पहुंच गए? यह जांच का विषय है, मैं समझता हूं कि इसकी जांच होनी चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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