पीएम मोदी ने मजदूरों को घर के करीब नौकरी के लिए तकनीक आधारित समाधान की वकालत की
By भाषा | Published: July 23, 2020 12:44 AM2020-07-23T00:44:37+5:302020-07-23T00:45:19+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कभी कभी ऐसा भी होता कि लोगों को कोई विशेष नौकरी चाहिए वो उसे उपलब्ध नहीं होता और दूसरी तरफ वो लोग होते हैं जो सक्षम तो होते हैं लेकिन उन्हें मन मुताबिक मौके नहीं मिलते हैं।
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजदूरों को उनके घर के आसपास ही नौकरी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तकनीक आधारित समाधान की वकालत की है। उनके मुताबिक इससे नियोक्ताओं को भी आसानी से कुशल कामगार मिल सकेंगे।
नौकरशाहों और विशेषज्ञों से एक संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने यह सुझाव भी दिया कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान किसी क्षेत्र विशेष में नए उद्योग की स्थापना की योजना के मद्देनजर अपने यहां चल रहे पाठ्यक्रमों में बदलाव भी ला सकते हैं ताकि युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को आठ-दस वर्षों तक नया रोजगार सुनिश्चित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री का यह संवाद मंगलवार को हुआ था, जिसका वीडियो नीति आयोग ने बुधवार को साझा किया। उन्होंने कहा कि लोग, खासकर वो जो शारीरिक परिश्रम वाले कामों से जुड़े हुए हैं, वे अपने घरों के नजदीक रोजगार को तरजीह देंगे।
उन्होंने सुझाव दिया कि नियोक्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से कुशल श्रम बल हासिल कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि व्यवसायों का मूल्यांकन इस आधार पर भी हो सकता है कि वे अपने कर्मचारियों को उनके बच्चों की शिक्षा के अलावा और किस प्रकार की सुविधाएं दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए और उनसे पूछा जाना चाहिए कि वे भविष्य में क्या करना चाहते हैं। मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि मिस्त्री चाहेगा कि वे गाड़ी चलाना सीखे ताकि वह टैक्सी खरीदे और अपनी आय में वृद्धि करे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी कभी ऐसा भी होता कि लोगों को कोई विशेष नौकरी चाहिए वो उसे उपलब्ध नहीं होता और दूसरी तरफ वो लोग होते हैं जो सक्षम तो होते हैं लेकिन उन्हें मन मुताबिक मौके नहीं मिलते। उन्होंने कहा कि यदि अध्ययन कराया जाए तो पता चलेगा कि अधिकांश कर्मचारी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देना पसंद करेंगे। कई ऐसे लोग मिलेंगे जो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए ऋण लिए हुए हैं।
उन्होंने श्रम शक्ति के ‘‘ग्लोबल मैपिंग’’का भी सुझाव दिया और कहा कि कई देशों को विज्ञान और गणित के अच्छे शिक्षकों की आवश्यकता है तो कई देशों को नर्सों की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस देश में स्किल की आवश्यकता है, यदि उस देश की भाषा का भी ज्ञान हो तो इससे बहुत मदद मिलती है।