प्रधानमंत्री ने पंढरपुर में संपर्क सुगम बनाने वाली परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया
By भाषा | Updated: November 8, 2021 18:44 IST2021-11-08T18:44:57+5:302021-11-08T18:44:57+5:30

प्रधानमंत्री ने पंढरपुर में संपर्क सुगम बनाने वाली परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया
पंढरपुर (महाराष्ट्र), आठ नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वार्षिक पंढरपुर ‘‘वारी’’ धार्मिक यात्रा को सामाजिक सद्भाव, समान अवसर और पुरूष श्रद्धालुओं के साथ इसमें भाग लेने वाली महिलाओं को शक्ति का प्रतीक बताया और कहा कि वह भविष्य में इस श्रद्धास्थली को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेस के माध्यम से पंढरपुर में संपर्क बेहतर व सुगम बनाने के लिए 1,186 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर 223 किलोमीटर से अधिक लंबी पूर्ण निर्मित एवं उन्नत सड़क परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करने और संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग (एनएच-965) के पांच खंडों और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग (एनएच-965जी) के तीन खंडों को चार लेन का बनाने के कार्य की आधारशिला रखने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पंढरपुर को देश के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का काम जनभागीदारी से ही होगा और जब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगे, तभी इस सपने को साकार किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘वारकारी आंदोलन की विशेष बात यह है कि इसमें पुरूषों के साथ-साथ महिलाएं भी ‘वारी’ में हिस्सा लेती हैं। यह नारी शक्ति और मातृ शक्ति का प्रतीक है। ‘वारी’ सामजिक सद्भाव और लैंगिक समानता का भी प्रतीक है क्योंकि इसका उद्देश्य है ‘भेदभाव बुराई है’। सामाजिक सद्भाव के इस उद्देश्य में लैंगिक समानता भी निहित है।’’
‘वारी’ एक धार्मिक यात्रा है जिसमें भगवान विठ्ठल के अनुयायी व वारकरी संप्रदाय के भक्त पुणे जिले के अलंदी और देहू से संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम जैसे संतों की पालकी लेकर पैदल ही पंढरपुर पहुंचते हैं। इस दौरान श्रद्धालु 250 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी वारकरी वह चाहे पुरूष हों या महिला, एक दूसरे को ‘‘मौली’’ कहकर पुकारते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एक दूसरे को मौली (माता) कहकर वह दरअसल एक दूसरे में संत ज्ञानेश्वर और भगवान विट्ठल को ही देखते हैं। सभी जानते हैं कि मौली का मतलब माता है। इसलिए वारी मातृ शक्ति को भी परिलक्षित करती है।’’
पंढरपुर यात्रा की तुलना उन्होंने ‘‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’’ के अपनी सरकार के मंत्र से की और कहा कि ‘‘वारी’’ में भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी एक दूसरे के गुरु भाई और गुरु बहन हैं। सभी के गोत्र एक हैं और वह है विट्ठल गोत्र। जब मैं ‘सबका साथ, सबका विकास और सबके विश्वास’ की बात करता हूं तो उसकी पीछे वारी परंपरा की ही प्रेरणा है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि वारकारी लोगों की भावनाएं राष्ट्र के लिए काम करने को सभी को प्रेरित करती हैं।
प्रधानमंत्री ने जिन राष्ट्रीय राजमार्गों की आधारशीला रखी उनके दोनों ओर ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग का निर्माण किया जाएगा, जिससे भक्तों को परेशानी मुक्त और सुरक्षित मार्ग उपलब्ध होगा।
संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग के दिवेघाट से लेकर मोहोल तक के लगभग 221 किलोमीटर लंबे खंड और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के पतस से लेकर टोंदले-बोंदले तक के लगभग 130 किलोमीटर लंबे खंड को चार लेन का बनाया जायेगा।
चार लेन वाले इन खंडों के दोनों ओर ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग बनाए जायेंगे। इन चार लेन और समर्पित पैदल मार्गों के निर्माण की अनुमानित लागत क्रमशः 6,690 करोड़ रुपये और लगभग 4,400 करोड़ रुपये से अधिक होगी।
इस अवसर पर केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस सहित कई अन्य प्रमुख नेता पंढरपुर में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुंबई से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
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