लाइव न्यूज़ :

Ayodhya Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मस्जिद में मूर्तियों को रखा जाना विवादित स्थल पर वाद दायर करने की वजह बना

By भाषा | Updated: November 10, 2019 20:07 IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में अपनी दलीलों में निर्मोही अखाड़ा ने इस घटना (मूर्तियां स्थापित करने) के घटित होने से इनकार किया और दावा किया कि मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे मूर्तियां पहले से ही थीं।

Open in App
ठळक मुद्देउच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि बाबरी मस्जिद में 1949 में मूर्तियों को रखे जाने की घटना इस विवादित स्थल से जुड़े पांच मुकदमों में पहला वाद दायर करने का कारण रहा था। मस्जिद में मूर्तियां रखे जाने के बाद एक मजिस्ट्रेट अदालत ने विवादित भूमि कुर्क करने का आदेश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि बाबरी मस्जिद में 1949 में मूर्तियों को रखे जाने की घटना इस विवादित स्थल से जुड़े पांच मुकदमों में पहला वाद दायर करने का कारण रहा था। मस्जिद में मूर्तियां रखे जाने के बाद एक मजिस्ट्रेट अदालत ने विवादित भूमि कुर्क करने का आदेश दिया था। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस घटना से पहले सांप्रदायिक तनावों को लेकर 12 नवंबर 1949 को विवादित स्थल पर एक पुलिस पिकेट स्थापित करनी पड़ी थी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने शनिवार को अपने फैसले में कहा कि इसके बाद जिले के पुलिस अधीक्षक ने फैजाबाद के (तत्कालीन) जिलाधिकारी के के नायर को एक पत्र भेज कर इस बारे में चिंता जाहिर की कि हिंदू समुदाय के लोगों के वहां मूर्तियां स्थापित करने के लिये जबरन मस्जिद में प्रवेश करने की संभावना है।

इसके बाद, वक्फ निरीक्षक ने एक रिपोर्ट देकर कहा कि मुस्लिमों ने जब मस्जिद में नमाज अदा करनी चाही, तब हिंदू समुदाय के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया। पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि नायर (जो फैजाबाद के उपायुक्त भी थे) ने छह दिसंबर 1949 को उत्तर प्रदेश के गृह सचिव को एक पत्र भेज कर कहा था कि मस्जिद की सुरक्षा को लेकर मुसलमानों की आशंका को सत्य मान कर स्वीकार करने की जरूरत नहीं है।

वहीं, 22-23 दिसंबर 1949 की दरम्यानी रात करीब 50-60 लोगों के एक समूह ने मस्जिद का ताला तोड़ दिया और केंद्रीय गुंबद के नीचे भगवान राम की मूर्तियां स्थापित कर दीं, जिसके चलते घटना के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की गई। नायर ने 26 दिसंबर 1949 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र लिख कर इस घटना पर हैरानी जताई लेकिन मस्जिद से मूर्तियों को हटाने के राज्य सरकार के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया।

उन्होंने अगले ही दिन एक और पत्र लिख कर कहा कि मूर्तियों को हटाने के लिये वह एक भी हिंदू (समुदाय का व्यक्ति) को ढूंढ नहीं पाएंगे। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पुजारियों की न्यूनतम संख्या को छोड़कर हिंदुओं और मुसलमानों को बाहर कर मस्जिद को कुर्क कर दिया जाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप स्थिति को नाजुक बताते हुए फैजाबाद सह अयोध्या के अतिरिक्त नगर मजिस्ट्रेट (एसीएम) ने 29 दिसंबर 1949 को विवादित स्थल को कुर्क करने का एक आदेश जारी किया।

एसीएम ने इस स्थल को नगर निकाय बोर्ड के अध्यक्ष प्रिय दत्त राम को सौंप दिया, जो इसके रिसीवर भी नियुक्त किये गये थे। इसके बाद 16 जनवरी 1950 को हिंदू श्रद्धालु गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद के दीवानी न्यायाधीश के समक्ष एक वाद दायर कर आरोप लगाया कि पूजा अर्चना के लिये अंदरूनी ढांचे में प्रवेश करने से सरकारी अधिकारी उन्हें रोक रहे हैं।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में अपनी दलीलों में निर्मोही अखाड़ा ने इस घटना (मूर्तियां स्थापित करने) के घटित होने से इनकार किया और दावा किया कि मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे मूर्तियां पहले से ही थीं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद के अंदर मूर्तियां 22-23 दिसंबर 1949 की दरम्यानी रात को रखी गई थीं और इस तरह निर्मोही अखाड़ा यह साबित कर पाने में नाकाम रहा कि मूर्तियां पहले से मौजूद थीं।

शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, ‘‘दीवानी मुकदमा संचालित कराने वाली संभावनाओं की प्रबलता पर उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष कि भगवान (राम) की मूर्तियां 22-23 दिसंबर 1949 की दरम्यानी रात स्थापित की गई थी, स्वयं ही हमारी स्वीकारोक्ति की अनुशंसा करता है।’’

उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित स्थल पर एक न्यास द्वारा राममंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और यह भी कहा कि अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिये वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन भी आवंटित की जाए। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। 

टॅग्स :अयोध्या फ़ैसलाराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामलाअयोध्या विवाद
Open in App

संबंधित खबरें

भारतVIDEO: समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कैमरे पर चीफ जस्टिस को कहे अपशब्द

भारतNCERT ने कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में संशोधन किया, अयोध्या और गोधरा दंगों के संदर्भ को हटाया

भारतRam Temple: 'क्या मैं बाबर, जिन्ना-औरंगजेब का प्रवक्ता हूं', संसद में बोले सांसद असदुद्दीन ओवैसी

भारतRam Mandir Ayodhya: इतिहास लिखेगा भारत, आज रामलला की होगी प्राण प्रतिष्ठा, जानिए पीएम मोदी के कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल

भारतRam Mandir: अयोध्या पर फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट जजों को 'प्राण-प्रतिष्ठा समारोह' में शामिल होने का दिया गया न्यौता

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत