पेट्रोलियम मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दस्तावेज साझा करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

By भाषा | Published: October 8, 2019 02:42 PM2019-10-08T14:42:16+5:302019-10-08T14:42:16+5:30

पेट्रोलियम मंत्रालय ने दस्तावेज के खुलासे संबंधी आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत ने 18 दिसंबर 2018 को याचिका खारिज कर दी। उसके बाद उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी। शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त 2019 को याचिका खारिज करते हुए कहा कि पूर्व के आदेश में हस्तक्षेप में उसकी रुचि नहीं है।

Petroleum Ministry gets shock from Supreme Court, refuses to stay the document sharing order | पेट्रोलियम मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दस्तावेज साझा करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

जुर्माना निश्चित लागतों की वसूली की अनुमति नहीं देने के रूप में था।

Highlightsशीर्ष अदालत ने पांच अगस्त 2019 को याचिका खारिज करते हुए कहा कि पूर्व के आदेश में हस्तक्षेप में उसकी रुचि नहीं है। केजी-डी6 से उत्पादन लक्ष्य से पीछे रहने को लेकर 3.02 अरब डॉलर की लागत की वसूली पर रोक लगा दी।

पेट्रोलियम मंत्रालय को उच्चतम न्यायालय से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने एक आदेश के खिलाफ दायर मंत्रालय की याचिका खारिज कर दी है। आदेश में उन दस्तावेजों का खुलासा करने को कहा गया था जिसके आधार पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के ऊपर केजी-डी6 से प्राकृतिक गैस उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप नहीं करने को लेकर 3 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था।

लक्ष्य के अनुरूप प्राकृतिक गैस का उत्पादन नहीं करने को लेकर सरकार के जुर्माने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पंचाट की तीन सदस्यीय पीठ ने रिलायंस और उसके भागीदार की याचिका पर मंत्रालय से उन दस्तावेजों को साझा करने को कहा था जिसके आधार पर कंपनी पर जुर्माना लगाया गया था।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने दस्तावेज के खुलासे संबंधी आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत ने 18 दिसंबर 2018 को याचिका खारिज कर दी। उसके बाद उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी। शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त 2019 को याचिका खारिज करते हुए कहा कि पूर्व के आदेश में हस्तक्षेप में उसकी रुचि नहीं है।

सरकार ने 2012 और 2016 के बीच रिलायंस और उसके भागीदारों को केजी-डी6 से उत्पादन लक्ष्य से पीछे रहने को लेकर 3.02 अरब डॉलर की लागत की वसूली पर रोक लगा दी। जुर्माना निश्चित लागतों की वसूली की अनुमति नहीं देने के रूप में था।

पेट्रोलियम मंत्रालय और उसकी तकनीकी इकाई हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) का मानना है कि उत्पादन का लक्ष्य के अनुरूप नहीं रहने का कारण कंपनी का केजी-डी6 ब्लाक में उतनी संख्या में कुओं की खुदाई नहीं करना है जिसकी उसने प्रतिबद्धता जतायी थी।

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2015 में गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता पीठ (अंतरराष्ट्रीय पंचाट) ने रिलायंस और उसके भागीदार बीपी की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में लागत वसूली की अनुमति देने से इनकार के पेट्रोलियम मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गयी थी।

पीठ ने पेट्रोलियम मंत्रालय से उन सभी दस्तावेजों को साझा करने को कहा था जिसके आधार पर सरकार ने लागत वसूली की अनुमति नहीं देने का निर्णय किया था। रिलायंस और बीपी का मानना है कि केजी-डी ब्लाक के लिये उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप नहीं रहने पर लागत वसूली पर रोक की बात कही गयी हो।

कंपनी को यह ब्लाक नेल्प (नई उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति) के तहत आबंटित गया गया था। नेल्प के तहत अनुबंधकर्ताओं को सरकार के साथ लाभ साझा करने से पहले अपनी सभी प्रकार की लागत वसूलने की अनुमति दी गयी है। सरकार ने 2016 में लागत वसूली पर रोक के बाद लाभ में साझेदारी के तहत 1.75 करोड़ डॉलर का भी दावा किया।

रिलायंस-बीपी का कहना है कि केजी-डी6 ब्लॉक में उत्पादन में कमी का कारण कुओं में बालू और पानी आने के साथ अन्य अप्रत्याशित चीजों का होना है। पेट्रोलियम मंत्रालय गोपनीयता से जुड़े उपबंधों का हवाला देकर दस्तावेज साझा करने का विरोध कर रहा है।

बंगाल की खाड़ी में स्थित केजी-डी6 ब्लाक में धीरुभाई-1 से गैस उत्पादन 8 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन होना था लेकिन वास्तविक उत्पादन 2011-12 में केवल 3.53 करोड़ घन मीटर, 2012-13 में 2.088 करोड़ घन मीटर तथा 2013-14 में 97.7 लाख घन मीटर रहा। इसी दौरान 3 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। बाद के वर्षों में उत्पादन में लगातार कमी आती गयी। फिलहाल यह 20 लाख घन मीटर प्रतिदिन से नीचे है। 

Web Title: Petroleum Ministry gets shock from Supreme Court, refuses to stay the document sharing order

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