न्यायालय में नीट-पीजी में ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुनवाई आगे बढ़ाने को लेकर याचिका दायर
By भाषा | Updated: December 29, 2021 22:21 IST2021-12-29T22:21:29+5:302021-12-29T22:21:29+5:30

न्यायालय में नीट-पीजी में ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुनवाई आगे बढ़ाने को लेकर याचिका दायर
नयी दिल्ली, 29 दिसंबर उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक पत्र याचिका दायर कर नीट-पीजी दाखिले में ईडब्ल्यूएस आरक्षण सुनिश्चित करने से संबंधित मामले में निर्धारित सुनवाई को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया गया।
याचिका में पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों से मारपीट की घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने, दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच शुरू करने का निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया गया। अधिवक्ता विनीत जिंदल ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को लिखी गई पत्र याचिका में केंद्र को डॉक्टरों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘वर्तमान पत्र याचिका फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफओआरडीए) की अध्यक्षता में पिछले कई दिनों से रेजिडेंट डॉक्टरों के हालिया विरोध और सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी के संबंध में है। यह सामूहिक विरोध प्रदर्शन इसलिए हुआ क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा-परास्नातक (नीट-पीजी) काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।’’
याचिका में कहा गया है कि डॉक्टर नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी पर का मुद्दा उठा रहे हैं, जो अब शीर्ष अदालत के समक्ष आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण संबंधी कुछ याचिकाओं के परिणाम के लिए लंबित है और मामले में छह जनवरी को सुनवाई होने वाली है।
इसमें कहा गया है, हड़ताल की शुरुआत डॉक्टरों द्वारा बाह्य मरीज क्लीनिक में काम का बहिष्कार करने के साथ हुई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से कोई आश्वासन नहीं मिलने पर भर्ती मरीजों की देखभाल और नियमित सर्जरी जैसे सभी नियमित कार्यों का बहिष्कार भी शुरू किया गया।
इसमें कहा गया है कि शुरू में नीट-2021 परीक्षा आयोजित करने में देरी कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण हुई थी और आरक्षण के मुद्दे पर अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए लंबित याचिकाओं के कारण इसमें और देरी हुई।
याचिका में कहा गया, ‘‘खबरों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री और मंत्रालय के अन्य अधिकारियों ने कोई लिखित आश्वासन देने से इनकार कर दिया क्योंकि मामला विचाराधीन है और अदालत में लंबित याचिकाओं के परिणाम तक कोई आश्वासन नहीं दिया जा सकता।’’ जिंदल ने अपनी याचिका में कहा कि अस्पताल में आपातकालीन सेवा के बहिष्कार को जारी रखने के साथ, तदर्थ आधार पर काम पर रखे गए सभी रेजिडेंट डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्तगी समेत अनुशासनात्मक कार्रवाई की अस्पतालों द्वारा चेतावनी दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि एफओआरडीए ने देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों की ‘‘भारी कमी’’ की ओर इशारा किया है क्योंकि नीट-पीजी 2021 बैच की काउंसलिंग में पहले ही आठ महीने की देरी हो चुकी है। याचिका में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 के खिलाफ डॉक्टर अग्रिम पंक्ति के योद्धा के रूप में लड़ रहे हैं ऐसे में रेजिडेंट डॉक्टरों के मुद्दों को जल्द संबोधित करना और उनकी मांगों को हल करने के लिए जल्द से जल्द हड़ताल को बंद कराना जरूरी है।
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