सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मोटर वाहन कानून के तहत अपराध करने वाले व्यक्ति पर IPC के तहत भी दर्ज हो सकता है मामला

By भाषा | Published: October 7, 2019 05:23 PM2019-10-07T17:23:20+5:302019-10-07T17:23:20+5:30

सुप्रीम कोर्टः पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘‘हमारी सुविचारित राय में कानून की स्थिति स्थापित है। इस न्यायालय ने बार-बार कहा है कि जहां तक मोटर वाहनों का सवाल है तो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 अपने-आप में पूरी संहिता है।’’

Person committing offence under Motor Vehicles Act can also be booked under IPC says Supreme Court | सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मोटर वाहन कानून के तहत अपराध करने वाले व्यक्ति पर IPC के तहत भी दर्ज हो सकता है मामला

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Highlightsउच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाने जैसे अपराध करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।न्यायालय ने कहा, ‘‘तेजी से मोटरीकरण के बढ़ने के साथ ही भारत सड़क यातायात में लोगों के जख्मी होने और जान गंवाने के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाने जैसे अपराध करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है क्योंकि दोनों कानून अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। न्यायालय ने कहा, ‘‘तेजी से मोटरीकरण के बढ़ने के साथ ही भारत सड़क यातायात में लोगों के जख्मी होने और जान गंवाने के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है।’’

न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 22 दिसंबर, 2008 के आदेश को निरस्त कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत तेज गति से वाहन चलाने, खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और अन्य संबंधित अपराधों के लिये मामला दर्ज किया गया है तो उसके खिलाफ आईपीसी के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘‘हमारी सुविचारित राय में कानून की स्थिति स्थापित है। इस न्यायालय ने बार-बार कहा है कि जहां तक मोटर वाहनों का सवाल है तो मोटर वाहन अधिनियम, 1988 अपने-आप में पूरी संहिता है।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘हालांकि, मोटर वाहन अधिनियम या अन्यथा किसी पर मोटर वाहन दुर्घटनाओं से संबंधित अपराध के लिये आईपीसी के तहत मुकदमा चलाने पर कोई रोक नहीं है।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों कानूनों के तहत अपराध के घटक अलग-अलग हैं और अपराधी के खिलाफ दोनों के तहत अपराधी पर मुकदमा चलाया जा सकता है और एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर दंडित किया जा सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘विशेष कानून के सामान्य कानून पर प्रभावी होने का सिद्धांत आईपीसी और मोटर वाहन अधिनियम के तहत सड़क दुर्घटना के अपराध के मामलों पर लागू नहीं होता है।’’

पीठ की तरफ से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हमारी राय में आईपीसी और मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है। दोनों कानून बिल्कुल अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। दोनों कानून के तहत अपराध अलग-अलग और एक-दूसरे से पृथक हैं। दोनों कानूनों के तहत दंड भी स्वतंत्र और एक-दूसरे से अलग है।’’

शीर्ष अदालत ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निर्देश को भी निरस्त कर दिया, जिसने असम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को अपने अधीनस्थ अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने को कहा है कि वे मोटर वाहन दुर्घटनाओं से संबंधित अपराधों के लिये अपराधियों के खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाएं, न कि आईपीसी के तहत। 

Web Title: Person committing offence under Motor Vehicles Act can also be booked under IPC says Supreme Court

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