लोगों ने कहा- अनुच्छेद-370 को खत्म करना देर से किया गया न्याय, कश्मीर के बाद जम्मू पहुंचे अमेरिका समेत 15 देशों के दूत
By भाषा | Published: January 10, 2020 07:39 PM2020-01-10T19:39:26+5:302020-01-10T19:57:18+5:30
इस दल को मुख्य सचिव बी. वी. आर. सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय दल ने स्थिति से अवगत कराया। नागरिक संस्थाओं के अधिकतर प्रतिनिधियों ने राजनयिकों को बताया कि वे अनुच्छेद-370 को हटाने का समर्थन करते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद विदेशी राजनयिकों की पहली यात्रा के तहत इस शुक्रवार को अमेरिका समेत 15 देशों के दूतों ने जम्मू कश्मीर की नागरिक संस्थाओं के सदस्यों से बातचीत की।
इस दल को मुख्य सचिव बी. वी. आर. सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय दल ने स्थिति से अवगत कराया। नागरिक संस्थाओं के अधिकतर प्रतिनिधियों ने राजनयिकों को बताया कि वे अनुच्छेद-370 को हटाने का समर्थन करते हैं।
यह विदेशी दल गुरुवार को कश्मीर घाटी पहुंचा था, जहां उसने चुनिंदा राजनीतिक प्रतिनिधियों, नागरिक संस्थाओं के सदस्यों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की। सरकार ने यह आलोचना नकार दी है कि यह ‘‘गाइडिड टूर’ है। भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर दिल्ली के उन विदेशी राजदूतों में शामिल थे जिन्होंने श्रीनगर में करीब सात घंटे बिताए।
पिछले वर्ष अक्टूबर में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने श्रीनगर की यात्रा की थी लेकिन दूतों को अब तक घाटी में नहीं जाने दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में एक सरकारी दल शुक्रवार सुबह पहुंचा और विदेशी प्रतिनिधिमंडल को अनुच्छेद 370 को हटाने और दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद की सुरक्षा स्थिति के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया।
मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाने के बाद किए गए सुरक्षा उपायों की जानकारी दी और राजनयिकों द्वारा गिरफ्तारी, इंटरनेट पर रोक और कानून व्यवस्था सहित विभिन्न पहलुओं पर किए गए सवालों का जवाब दिया।
#JammuAndKashmir: Delegation of 15 foreign envoys meets representatives of Kashmiri Pandits at Jagti Migrant Township in Jammu pic.twitter.com/db0OFBCM94
— ANI (@ANI) January 10, 2020
अधिकारियों ने राजनयिकों को इस अवधि में शून्य हताहत के बारे में जानकारी दी जो पुलिस और सरक्षा बलों के लिए उपलब्धि है। वित्त आयुक्त स्वास्थ्य अतुल डुल्लू ने राजनयिकों की टीम को लोगों की सेहत देखरेख और मरीजों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, उसके लिए सरकार की ओर से की गई व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार उसके बाद पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों, वाल्मीकि समाज, गुज्जरों और वकीलों के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों के साथ विदेशी दल की बैठक हुई।
राजनयिकों के सवालों का जवाब देते हुए अधिकतर प्रतिनिधियों ने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह उनके समुदायों के लिए लाभदायक है। जम्मू-कश्मीर गुज्जर यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष गुलाम नबी खटाना ने पत्रकारों को बताया, ‘‘हमने राजनयिकों को बताया कि अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले का गुज्जर समुदाय स्वागत करता है। इससे समुदाय को आरक्षण का लाभ और वन पर अधिकार मिलेगा, जिससे सात दशक से उन्हें वंचित किया जा रहा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने राजनयिकों को सही तस्वीर पेश करते हुए कहा कि कश्मीर केंद्रित पार्टियां हमेशा अपने हितों को आगे रखती थी और अन्य के अधिकारों से इनकार करती थी।’’ राजनयिकों से मिलने वालों में शामिल राजौरी के वकील आसिफ चौधरी ने कहा कि उनके लिए अनुच्छेद-370 फायदेमंद नहीं था और इसको निरस्त करने से उनके समुदाय के विकास एवं प्रगति के नए रास्ते खुले हैं। पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी संगठन के अध्यक्ष लाभा राम गांधी ने राजनयिकों से कहा, ‘‘ अनुच्छेद-370 को खत्म करना उनके लिए देर से किया गया न्याय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद-370 को निरस्त करना समुदाय को न्याय दिलाने की ओर कदम है। पिछले सात दशक से हम जम्मू-कश्मीर के अनावश्यक नागरिक थे क्योंकि कश्मीर केंद्रित पार्टियों की सरकार ने हमें मत देने, नौकरी करने, शिक्षा प्राप्त करने और जमीन का अधिकार नहीं दिया था। अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद हम जम्मू-कश्मीर का नागरिक बनकर गौरवान्वित हैं। यह भेदभाव वाला था जो हमें जम्मू-कश्मीर में रहने के हमारे अधिकार से वंचित करता था।’’
पाक के कब्जे वाले कश्मीर के शरणार्थी नरेंद्र सिंह ने राजनयिकों से कहा कि वे अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के फैसले का समर्थन करते हैं। जम्मू बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिनव शर्मा से राजनयिकों ने सवाल किया कि क्यों नहीं अनुच्छेद-370 को समाप्त करने की मांग उठाई गई? उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें बताया कि बहुत पहले यह मांग उठाई गई थी लेकिन कश्मीर केंद्रित पाटिर्यों के शासक हमें यह मांग उठाने नहीं देते थे और लगातार दबा रहे थे।’’
राजनयिकों की टीम मौजूदा समय में जम्मू शहर के बाहरी हिस्से में मौजूद कश्मीरी विस्थापितों के सबसे बड़े शिविर जागती का दौरा कर रही है और इस दौरान वे विस्थापितों से भी बात करेंगे। विदेशी दूत गुरुवार शाम को नवगठित केंद्रशासित प्रदेश की शीतकालीन राजधानी जम्मू पहुंचे थे। उपराज्यपाल जी. सी. मुर्मू ने उन्हें रात्रिभोज दिया था और उनके साथ बातचीत की थी। अधिकारियों के अनुसार उससे पहले उन्हें चार्टर्ड विमान से यहां तकनीकी हवाई अड्डे पर लाया गया था। वहां से सीधे उन्हें सैन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए सैन्य छावनी ले जाया गया। इस बार हड़ताल का आह्वान नहीं किया गया था। दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले थे और यातायात सामान्य था।
Jammu: Two Kashmiri Pandits show placards saying 'Free Kashmir from Islamic Terrorism' to delegation of 15 foreign envoys which was on its way to Jagti Migrant Township pic.twitter.com/MkRf335ydE
— ANI (@ANI) January 10, 2020
अक्टूबर में यूरोपीय संसद के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान ऐसी स्थिति नहीं थी। वह यात्रा एक एनजीओ ने करवाई थी। अधिकारियों के अनुसार विदेशी प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप भी थे। उस प्रतिनिधिमंडल को लेफ्टिनेंट जनरल के. जे. एस. ढिल्लों की अगुवाई में शीर्ष सैन्य अधिकारियों के एक दल ने सुरक्षा स्थिति के बारे में बताया। ढिल्लो कश्मीर में सामरिक रूप से तैनात पंद्रहवीं कोर के प्रमुख हैं।
विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को गलत साबित करने के भारत सरकार के राजनयिक संपर्क कार्यक्रम का हिस्सा है। जम्मू में शाम को मुर्मू उनका स्वागत करेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका के अलावा बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाईजीरिया आदि के राजनियक हैं।
वे शुक्रवार को दिल्ली लौट जायेंगे। पांच अगस्त के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह दूसरी जम्मू कश्मीर यात्रा है। इससे पहले दिल्ली के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन एलाइंड स्टडीज यूरोपीय संघ के 23 सांसदों को केंद्रशासित प्रदेश की स्थिति का जायजा लेने के लिए दो दिनों की यात्रा कराई थी।