पटवारी परीक्षा घोटालाः एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज ने जांच के दिए आदेश, HC के रिटायर्ड जज जांच कर 31 अगस्त को सौपेंगे रिपोर्ट
By अनिल शर्मा | Published: July 20, 2023 02:15 PM2023-07-20T14:15:07+5:302023-07-20T14:21:27+5:30
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सूबे की पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े घोटाले का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से आयोजित ग्रुप-2 , सब ग्रुप-4 और पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा की अध्यक्षता में गठित समिति इस घोटाले की जांच करेंगी जिसकी रिपोर्ट 31 अगस्त 2023 तक राज्य सरकार को सौंपी जाएगी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से इसकी जानकारी देते हुए कहा गयाः कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से आयोजित ग्रुप-2 , सब ग्रुप-4 और पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच के लिए माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया है। जांच में उक्त परीक्षा से संबंधित शिकायतों एवं जांच के दौरान उद्भूत अन्य प्रासंगिक बिंदुओं पर भी जांच की जायेगी। जांच के निष्कर्षों के आधार पर यथोचित अनुशंसायें 31 अगस्त 2023 तक राज्य शासन को प्रस्तुत होंगी।
कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से आयोजित ग्रुप-2 , सब ग्रुप-4 और पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच के लिये माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया है। जांच में उक्त परीक्षा से संबंधित शिकायतों एवं जांच के दौरान उद्भूत अन्य प्रासंगिक…
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) July 19, 2023
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सूबे की पटवारी भर्ती परीक्षा में बड़े घोटाले का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व महासचिव रघुनंदन सिंह परमार ने यह जनहित याचिका दायर करते हुए गुहार की है कि उच्च न्यायालय के मौजूदा या अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति से इस परीक्षा की कथित गड़बड़ियों की जांच कराई जाए।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति हिरदेश ने बुधवार दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस बात पर अपना फैसला सुरक्षित रखा कि जनहित याचिका के आधार पर मुकदमा चलाया जाए या नहीं। अदालत में बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पटवारी भर्ती परीक्षा "बहुत बड़ा घोटाला" है क्योंकि शीर्ष 10 चयनित उम्मीदवारों में से सात ने ग्वालियर के एक ही परीक्षा केंद्र में यह भर्ती परीक्षा दी थी तथा इस केंद्र से कुल 114 लोगों का भर्ती परीक्षा में चयन हुआ है।
उधर, प्रदेश सरकार के वकील ने जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि समाचार पत्रों की कतरनों के बूते दायर याचिका के आधार पर कतई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटवारी भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद इस परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियों पर 13 जुलाई को रोक लगा दी थी।