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Patanjali misleading advertisements case: ‘हम इतने उदार नहीं होना चाहते’, सुप्रीम कोर्ट सख्त, बाबा रामदेव और बालकृष्ण के माफी से खुश नहीं!

By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 10, 2024 13:41 IST

Patanjali misleading advertisements case: भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के एमडी द्वारा माफी मांगने संबंधी हलफनामे पर उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम इतने उदार नहीं होना चाहते।’’

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ठळक मुद्देन्यायालय ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति कड़ी नाराजगी जताई है। पतंजलि विज्ञापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा।

Patanjali misleading advertisements case: पतंजलि विज्ञापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ बुधवार को इस मामले पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हम रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के एमडी के माफी मांगने के हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के एमडी द्वारा माफी मांगने संबंधी हलफनामे पर उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम इतने उदार नहीं होना चाहते।’’ सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल की सुनवाई तय की है।

न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति कड़ी नाराजगी जताई है। पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह विज्ञापन के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। 

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण द्वारा बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘हम इस मामले में इतने उदार नहीं बनना चाहते।’’

शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के प्रति भी कड़ी नाराजगी जताई। रामदेव और बालकृष्ण ने अपने औषधीय उत्पादों के असर के बारे में बड़े-बड़े दावे करने वाले विज्ञापनों को लेकर उच्चतम न्यायालय में ‘‘बिना शर्त माफी’’मांगी है।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल दो अलग-अलग हलफनामों में रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज ‘‘बयान के उल्लंघन’’ के लिए बिना शर्त माफी मांगी है। शीर्ष अदालत ने 21 नवंबर, 2023 के आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उसे आश्वासन दिया था कि ‘‘अब से खासकर पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।

पतंजलि ने यह भी कहा था कि असर के संबंध में या चिकित्सा की किसी भी पद्धति के खिलाफ कोई भी बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा।’’ शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ‘‘इस तरह के आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य है।’’

आश्वासन का पालन नहीं करने और उसके बाद मीडिया में बयान जारी किए जाने पर शीर्ष अदालत ने अप्रसन्नता व्यक्त की थी। न्यायालय ने बाद में पतंजलि को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की जाए।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल दो अलग-अलग हलफनामों में रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज ‘‘बयान के उल्लंघन’’ के लिए बिना शर्त माफी मांगी है। शीर्ष अदालत ने 21 नवंबर, 2023 के आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उसे आश्वासन दिया था कि ‘‘अब से खासकर पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।

पतंजलि ने यह भी कहा था कि प्रभावकारिता के संबंध में या चिकित्सा की किसी भी पद्धति के खिलाफ कोई भी बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ‘‘इस तरह के आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य है।’’ आश्वासन का पालन नहीं करने और उसके बाद मीडिया में बयान जारी किए जाने पर शीर्ष अदालत ने अप्रसन्नता व्यक्त की थी।

न्यायालय ने बाद में पतंजलि को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की जाए। शीर्ष अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में रामदेव ने कहा है, ‘‘मैं विज्ञापनों के संबंध में बिना शर्त माफी मांगता हूं। मुझे इस गलती पर गहरा अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा।’’

रामदेव ने हलफनामे में कहा है, ‘‘मैं इस अदालत के 21 नवंबर 2023 के आदेश के पैरा तीन में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं।’’ उन्होंने कहा कि बयान का अक्षरशः अनुपालन किया जाएगा और इस तरह का कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा। रामदेव ने पिछले साल 22 नवंबर को आयोजित संवाददाता सम्मेलन के लिए भी बिना शर्त माफी मांगी और कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देने का आश्वासन दिया, जो अदालत के समक्ष दिए गए वचन का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस चूक पर खेद है और आश्वासन देता हूं कि भविष्य में इसे नहीं दोहराया जाएगा।’’

रामदेव ने कहा, ‘‘मैं कथन के उल्लंघन के लिए क्षमा चाहता हूं। मैं हमेशा कानून का पालन करने का वचन देता हूं।’’ इसी तरह, बालकृष्ण ने भी शीर्ष अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रतिवादी संख्या पांच (पतंजलि) की ओर से विज्ञापन जारी करने पर गहरा खेद है, जो 21 नवंबर, 2023 के आदेश का उल्लंघन है।

मैं इस संबंध में अपनी और प्रतिवादी संख्या पांच की ओर से बिना शर्त माफी मांगता हूं।’’ बालकृष्ण ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘इस अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का मेरा कभी कोई इरादा नहीं था। मैं वचन देता हूं कि भविष्य में ऐसी कोई चूक नहीं होगी। मैं हमेशा कानून की महिमा को बनाए रखूंगा।’’

टॅग्स :बाबा रामदेवसुप्रीम कोर्ट
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