18 जुलाई से शुरू होगा संसद का मॉनसून सत्र, अब 22 भाषाओं में सांसद कह सकेंगे मन की बात
By भारती द्विवेदी | Published: July 11, 2018 07:59 PM2018-07-11T19:59:22+5:302018-07-11T19:59:22+5:30
राज्यसभा में इससे पहले 12 भाषाओं में ट्रांसलेटर की सुविधा थी। पांच भाषाओं जैसे मैथिली, मणिपुरी, मराठी, बोड़ो और नेपाली के लिए लोकसभा के ट्रांसलेटर को नियुक्त किया गया है।
नई दिल्ली, 11 जुलाई: 18 जुलाई से राज्यसभा का मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है। इस बार सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद 22 भाषाओं में सवाल-जवाब कर पाएंगे। हालांकि ये सुविधा पहले से कुछ भाषाओं में ही थी लेकिन अब ये 22 भाषाओं के लिए है। पहले जारी से सुविधा में अब पांच और भाषाओं को जोड़ दिया गया है। पांच जोड़ गए भाषाओं में डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी शमिल है।
राज्यसभा में 22 भाषाओं में बात करने की सुविधा का श्रेय सभापति एम वेंकैया नायडू को जाता है। वेंकैया नायडू के द्वारा ट्रांसलेटर के नए पैनल को प्रशिक्षण के बाद मिले प्रमाणपत्र के बाद ये संभव हो पाया है। सभापति नायडू ने कहा, ‘मैं हमेशा महसूस करता था कि मातृभाषा के जरिये आप बिना किसी रुकावट अपनी भावना और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।’ नायडू ने जब सभापति का पद संभाला था, तभी उन्होंने कहा था कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में सांसदों को बोलने की व्यवस्था की जाएगी ताकि वो अपनी बातों को और बेहतर तरीके से रख सकें।
उपराष्ट्रपति ने बहुभाषा सेटिंग के जरिये कहा कि सदस्यों को भाषा की समस्या के कारण दूसरों के मुकाबले खुद को हीन और असमर्थ नहीं समझना चाहिए। राज्यसभा में इससे पहले 12 भाषाओं में ट्रांसलेटर की सुविधा थी। पांच भाषाओं जैसे मैथिली, मणिपुरी, मराठी, बोड़ो और नेपाली के लिए लोकसभा के ट्रांसलेटर को नियुक्त किया गया है।
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