संसद सुरक्षा चूक मामला: आरोपियों ने विपक्षी दलों से संबंध स्वीकारने के लिए प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 31, 2024 08:19 PM2024-01-31T20:19:59+5:302024-01-31T20:21:41+5:30

संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन गत 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना उस वक्त हुई थी जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए थे और उन्होंने नारेबाजी करते हुए ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया था।

Parliament Security Accused alleged of being harassed for accepting links with opposition parties | संसद सुरक्षा चूक मामला: आरोपियों ने विपक्षी दलों से संबंध स्वीकारने के लिए प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाया

गत 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना हुई थी

Highlightsसंसद की सुरक्षा में चूक मामले में गिरफ्तार किये गये आरोपियों की हुई पेशीआरोपियों ने विपक्षी दलों से संबंध स्वीकारने के लिए प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगायागत 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना हुई थी

नयी दिल्ली: संसद की सुरक्षा में चूक मामले में गिरफ्तार किये गये छह में से पांच आरोपियों ने बुधवार को एक अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस उन्हें विपक्षी दलों के साथ अपने संबंध स्वीकार करने के लिए कथित तौर पर प्रताड़ित कर रही है। पांच आरोपियों ने यह दलील अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष दी। 

न्यायाधीश ने सभी छह आरोपियों की न्यायिक हिरासत एक मार्च तक बढ़ा दी है। पांच आरोपियों मनोरंजन डी, सागर शर्मा, ललित झा, अमोल शिंदे और महेश कुमावत ने अदालत को बताया कि लगभग 70 कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें मजबूर किया गया था। आरोपियों ने एक संयुक्त याचिका में अदालत को बताया, ‘आरोपी व्यक्तियों को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराध और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के साथ उनके संबंध होने की बात स्वीकार करने के लिए प्रताड़ित किया गया/बिजली के झटके दिये गये।’ 

इसमें कहा गया, ‘दो आरोपी व्यक्तियों को राजनीतिक दल/विपक्षी राजनीतिक दल के नेता के साथ अपने संबंध होने के बारे में कागज पर लिखने के लिए मजबूर किया गया।’ अदालत ने मामले में पुलिस से जवाब मांगा और अर्जी पर सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख तय की। इस मामले में छठी आरोपी नीलम आजाद हैं, जिसने पहले अदालत के सामने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसे कई कोरे कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था। 

आजाद की अर्जी फिलहाल अदालत में लंबित है। संयुक्त याचिका में कहा गया है, ‘पॉलीग्राफ/नार्को/ब्रेन मैपिंग के दौरान (बाद में/पहले), परीक्षण करने वाले संबंधित व्यक्तियों ने दो आरोपी व्यक्तियों पर उनकी संलिप्तता के बारे में एक राजनीतिक दल/नेता का नाम लेने के लिए दबाव डाला था।’ आरोपी व्यक्तियों ने दावा किया कि उन्हें अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल और फोन के पासवर्ड देने के लिए मजबूर किया गया। 

संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन गत 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना उस वक्त हुई थी जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए थे और उन्होंने नारेबाजी करते हुए ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया था। घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया था। 

ठीक इसी वक्त पीले रंग का धुआं छोड़ने वाली 'केन' लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले दो अन्य लोगों अमोल शिंदे और नीलम को गिरफ्तार कर लिया गया था। इन लोगों ने ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाये थे। इन चारों को मौके से ही हिरासत में ले लिया गया था जबकि ललित झा और महेश कुमावत को बाद में गिरफ्तार किया गया था। 

(इनपुट- भाषा)

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