प्रश्नकाल पर टकराव के बीच आंकड़े पेश कर रहे हैं अलग तस्वीर, राज्यसभा में 60% समय खोया, बाकी का उपयोग
By हरीश गुप्ता | Published: September 4, 2020 07:20 AM2020-09-04T07:20:32+5:302020-09-04T11:52:28+5:30
संसद में इस बार प्रश्नकाल रद्द किए जाने के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर पूरी तरह हमलावर हो गया था. सरकार को इसके बाद कुछ झुकना भी पड़ा. अब सरकार की ओर से लिखित जवाब देने की बात कही गई है.
संसद में इस बार प्रश्नकाल करवाने को लेकर विपक्ष काफी आक्रामक नजर आ रहा है. लेकिन राज्यसभा के रिकॉर्ड और राज्यसभा सचिवालय का अनुसंधान विभाग कुल अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शोध में खुलासा हुआ है कि चार वर्षों (2015-19) में कुल उपलब्ध समय का मात्र 40 प्रतिशत समय सवाल पूछने के लिए उपयोग में लाया गया है जबकि 60 प्रतिशत समय बर्बाद किया गया है.
इस अवधि में राज्यसभा की 332 बैठकें (332 घंटे) हुई हैं. इनमें 133 घंटों में सवाल उठाने के लिए व्यय किए गए हैं. मतलब 40 प्रतिशत समय का ही उपयोग हुआ है. प्रश्नोत्तर काल का सालाना विश्लेषण करें तो 2015 में सिर्फ 18 घंटे और 07 मिनट, 2016 में 34 घंटे और 48 मिनट, 2018 में 14 घंटे और 29 मिनट, 2019 में 30 घंटे 40 मिनट का इस्तेमाल किया गया है.
अनुसंधानकर्ताओं ने इंगित किया कि 1978 से लगातार प्रश्नोत्तर काल के समय में गिरावट दर्ज की गई है. ज्यादातर समय चर्चा में बाधा उत्पन्न करने और स्थगन करनाए जाने के कारण बर्बाद हुआ है.
बता दें कि विभिन्न दलों के नेताओं ने सरकार को तर्क दिया है कि कोरोना के कारण प्रश्नोत्तर काल बंद नहीं करवाया जा सकता. उनका कहना है कि प्रश्नोत्तर काल उनका मूलभूत अधिकार है और संसदीय लोकतंत्र का मुख्य घटक है. कोविड महामारी को इसे बंद करवाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.