पारा पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों का चहेता था : पुलिस आरोपपत्र
By भाषा | Published: June 6, 2021 05:42 PM2021-06-06T17:42:02+5:302021-06-06T17:42:02+5:30
(सुमीर कौल)
श्रीनगर/नयी दिल्ली, छह जून जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का करीबी वरिष्ठ पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान पारा पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों का चहेता रहा है तथा 2007 से पत्रकार एवं नेता के रूप में उसका सफर ‘छल प्रपंच, धोखाधड़ी एवं पाखंड’ की कहानी रही है। उसके विरूद्ध पुलिस द्वारा दाखिल किये गये आरोपपत्र में ऐसा दावा किया गया है।
पारा पर आरोप है कि उसने राजनीतिक फायदे के वास्ते आतंकवादियों से सहयोग पाने के लिए उनके साथ साठगांठ कर रखा था और वह बदले में उन्हें कई तरह की मदद पहुंचाता था। फलस्वरूप कई आतंकवादी हमले हुए।
पांच सुरक्षाप्राप्त गवाहों एवं तकनीकी खुफिया की मदद से सीआईडी विभाग की शाखा अपराध जांच कश्मीर (सीआईके) ने हाल ही में एनआईए अदालत में आरोपपत्र दायर किया। उसमें आरोप लगाया गया है कि पारा की पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उनसे मिलीभगत थी और साथ ही वह यह भी सुनिश्चित करता था कि उसके राजनीतिक विरोधियों का सफाया हो जाए।
यह आरोपपत्र 19 पन्नों का है और उसमें सैंकड़ों पन्नों के अनुलग्नक भी हैं। आरोपपत्र में आतंकवादी संगठनों को भुगतान करके अपनी पार्टी के पक्ष में चुनावी पलड़ा भारी करने के लिए राजनीतिक विरोधियों का सफाया करने तथा अपने पार्टी नेताओं की मदद पहुंचाने के लक्षित प्रयासों की कई घटनाओं का जिक्र है।
हालांकि उसके वकील ने उसकी जमानत एवं हिरासती अर्जियों की सुनवाई के दौरान इन आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि उनके मुवक्किल, जो पिछले साल जिला विकास परिषद का चुनाव जीते, को राजनीतिक बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
आरोपपत्र में पाकिस्तान में प्रशिक्षण पाए अबू दूजाना और अबू कासिम के साथ उसके संबधों का विस्तार से जिक्र है जो सुरक्षाबलों के साथ अलग- अलग मुठभेड़ों में मारे गये थे। उसमें यह आरोप लगाया गया है कि वह उनसे व्यक्तिगत रूप से या उनके लिए काम करने वालों के माध्यम से मिला करता था।
आरोपपत्र में दावा किया गया है कि दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकवादी अबू दूजाना की एक लड़की से जबरिया शादी में उसका ही हाथ था।
पुलिस ने 2007 से ही उसके जीवन के सफर का पता लगाया है जब वह पाकिस्तान गया था और उसने प्रतिबंधित हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन का साक्षात्कार किया था एवं उसे दक्षिण कश्मीर में अपने गृह जिले पुलवामा से चलाये जा रहे अपने स्थानीय मीडिया चैनल पर प्रसारित किया था।
पारा 2013 में पीडीपी में शामिल हुआ था और ‘‘मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल की सुरक्षित गोद में बैठते ही उसने व्यवस्थित ढंग से भारत और पाकिस्तान दोनों ओर अपनी जड़ें जमाने में लग गया।’’
आरोपपत्र में कहा गया है, ‘‘...पारा को भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए पाकिस्तानी प्रतिष्ठान से संकेत मिल गए थे और इससे उन्हें छोटे-मोटे रणनीतिक फायदा उठाने तथा धीरे लेकिन यकीनन तौर पर रणनीतिक दृष्टि से पाकिस्तान के पक्ष में संपूर्ण स्थिति को करने का मौका मिल गया, जो 13 सालों (2007-2020) तक खेला गया। यह छल प्रपंच, धोखाधड़ी एवं पाखंड की कहानी है।’’
यूएपीए और धनशोधन रोकथाम कानून के तहत मामलों की जांच के लिए अधिकृत सीआईके ने अवैध गतिवधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत पारा पर मुकदमे के लिए जम्मू कश्मीर के गृह विभाग से अनुमति ली।
सीआईके ने ‘भरोसेमंद एवं गोपनीय सूत्रों’ के आधार पर पिछले साल कुछ अज्ञात नेताओं और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन सूत्रों ने बताया था कि कुछ राजनीतिक नेता अपनी ताकत का दुरूपयोग कर रहे हैं और आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं।
इस साल मार्च में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पारा के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था जिसमें आरोप लगाया है कि पीडीपी युवा नेता ने 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी की मौत के बीच कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाम को पांच करोड़ रूपये दिये थे।
एनआईए के अनुसार पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया पारा हिज्बुल मुजाहिदीन एवं लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतवंकवादी संगठनों के साथ रहा है।
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