पालघर में साधुओं की लिंचिंग मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत, कहा- हमें कोई आपत्ति नहीं
By विनीत कुमार | Published: March 29, 2023 02:55 PM2023-03-29T14:55:24+5:302023-03-29T15:16:51+5:30
पालघर लिंचिंग मामले में महाराष्ट्र सरकार के सीबीआई जांच पर किसी तरह की आपत्ति नहीं जताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि उसे इस जांच पर कोई आपत्ति नहीं है।
नई दिल्ली: साल 2020 में महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और एक अन्य शख्स की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने के मामले की सीबीआई जांच का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कहते हुए कहा कि उसे इस जांच पर कोई आपत्ति नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने 14 अप्रैल को अगली सुनवाई से पहले महाराष्ट्र सरकार से इस मामले पर एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह हलफनामा दाखिल करे कि मामले को सीबीआई जांच के लिए भेजा जा रहा है मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सीबीआई से पूछा कि क्या एजेंसी कथित लिंचिंग मामले की जांच के लिए तैयार है, जिस पर जांच एजेंसी ने सकारात्मक जवाब दिया।
महाराष्ट्र सरकार पहले ही जता चुकी है सहमति
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंद के नेतृत्व वाली सरकार पहले ही पूरे मामले की सीबीआई जांच को लेकर सहमति जता चुकी है। पिछले ही हफ्ते कोर्ट को इस बारे में जानकारी भी दे दी गई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ को याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील ने पिछली सुनवाई में बताया था कि राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सहमति दी है।
गौरतलब है कि इससे पहले महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार थी। उस समय राज्य सरकार ने कहा था कि सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। उद्धव ठाकरे के कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस ने इस घटना में ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए दोषी पुलिसकर्मियों को सजा दी है। साथ ही उसने सीबीआई जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज किए जाने का भी आग्रह किया था।
वहीं, दूसरी ओर याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य की पुलिस पक्षपातपूर्ण तरीके से जांच कर रही है। ये याचिकाएं श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, मृतकों के परिजनों, वकील शशांक शेखर झा और घनश्याम उपाध्याय ने दायर की हैं।
पालघर साधु हत्याकांड: क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान मुंबई के कांदिवली से तीन लोग एक कार में सवार होकर गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। ऐसे आरोप हैं कि तभी 16 अप्रैल 2020 की रात को पालघर के गडचिनचले गांव में भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में इनकी कार रोकी और उन पर हमला कर दिया। इस दौरान पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई।
मृतकों की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशील गिरी महाराज (35) और निलेश तेलगड़े (30) के रूप में की गयी थी। निलेश कार चला रहा था। तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने तब कहा था कि कुछ ग्रामीणों ने तीनों को 'बच्चा चोर' समझ लिया था और उन पर हमला किया था।
महाराष्ट्र सीआईडी ने इस घटना की तब जांच की थी और 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इनमें करीब 15 नाबालिग थे। सभी आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग आरोप पत्र दायर किए गए। बाद में 196 अभियुक्त ठाणे सत्र न्यायालय से जमानत पाने में सफल रहे।