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पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा भगवान बुद्ध की प्रतिमा खंडित, भारत ने कहा- अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करो

By भाषा | Updated: July 23, 2020 21:20 IST

‘‘हमें मिली सूचनाओं के अनुसार, मौलवी के कहने पर चार पाकिस्तानी नागरिकों ने प्रतिमा को हथौड़े से तोड़ दिया। मौलवी ने उनसे कहा था कि अगर उन्होंने मूर्ति नहीं तोड़ी तो उनका ईमान खराब हो जाएगा।’’

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ठळक मुद्देअधिकारी ने बताया कि प्रांत के मर्दान जिले में एक मजदूर ने हथौड़े से मार-मार कर बुद्ध की दुर्लभ आदमकद प्रतिमा को टुकड़े टुकड़े कर दिया। खेतों से खुदाई के दौरान मिली इस प्रतिमा को तोड़ने के आरोप में शनिवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि यह घटना 18 जुलाई को मर्दान जिले में हुई जहां एक मकान की खुदाई के दौरान गांधार शैली की बुद्ध की प्रतिमा मिली।

नई दिल्लीः भारत ने पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में भगवान बुद्ध की प्रतिमा को हथैड़े मार-मार कर टुकड़े-टुकड़े किए जाने की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए इस्लामाबाद से कहा है कि वह अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा सुनिश्चत करे।

पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रांत के मर्दान जिले में एक मजदूर ने हथौड़े से मार-मार कर बुद्ध की दुर्लभ आदमकद प्रतिमा को टुकड़े टुकड़े कर दिया। गांधार शैली की यह प्रतिमा करीब 1,700 साल पुरानी थी। खेतों से खुदाई के दौरान मिली इस प्रतिमा को तोड़ने के आरोप में शनिवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।

संदेह है कि वे स्थानीय मौलवी के कहने पर ऐसा कर रहे थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि यह घटना 18 जुलाई को मर्दान जिले में हुई जहां एक मकान की खुदाई के दौरान गांधार शैली की बुद्ध की प्रतिमा मिली।

मौलवी के कहने पर चार पाकिस्तानी नागरिकों ने प्रतिमा को हथौड़े से तोड़ दिया

उन्होंने कहा, ‘‘हमें मिली सूचनाओं के अनुसार, मौलवी के कहने पर चार पाकिस्तानी नागरिकों ने प्रतिमा को हथौड़े से तोड़ दिया। मौलवी ने उनसे कहा था कि अगर उन्होंने मूर्ति नहीं तोड़ी तो उनका ईमान खराब हो जाएगा।’’ श्रीवास्तव ने बताया कि गया के बौद्ध भिक्षुओं सहित तमाम लोगों ने घटना की निंदा की है।

उन्होंने बताया कि अपने देश में भी तमाम लोगों ने इसे लेकर चिंता जतायी है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान से अपनी चिंता जाहिर की है। हमने अपनी आशा भी बतायी है कि वे वहां अल्संख्यक समुदाय की रक्षा, सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करेंगे, साथ ही उनकी सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा करेंगे।’’

खैबर-पख्तूनख्वा में पुरातत्व और संग्रहालयों के निदेशक समद खान ने रविवार को बताया था कि टुकड़ों को बटोर कर लाया गया है ताकि उनके पुरातात्विक महत्व की जांच की जा सके। उन्होंने बताया था कि प्रतिमा गांधार शैली की थी और करीब 1,700 साल पुरानी थी।

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