यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आशंका जताई है कि उनके घर पर भी आयकर विभाग की ओर से छापेमारी की जा सकती है। चिदंबरम के अनुसार उन्हें इस बारे में जानकारी मिली है। चिदंबरम ने साथ ही कहा कि इस पूरे कवायद की कोशिश केवल चुनावी कैंपेन को प्रभावित करना है। चिदंबरम ने ट्वीट कर ये सारी आशंका जताई।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के ठिकानों पर रविवार दिन भर चली आयकर विभाग की छापेमारी के बाद चिदंबरम ने देर रात ट्वीट कर छापेमारी की आशंका जताई। चिदंबरम ने लिखा, 'मुझे कहा गया है आयकर विभाग की योजना मेरे चेन्नई और शिवगंगा निवार्चन क्षेत्र में मौजूद मेरे घर में छापेमारी की है। हम सर्च पार्टी का स्वागत करते हैं।'
चिदंबरम ने साथ ही आगे लिखा, आईटी जानती है कि हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है। उन्होंने और दूसरी एजेंसियों ने पहले भी हमारे घर की तलाशी ली है लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। इसका पूरा इरादा चुनावी कैंपेन को प्रभावित करना है।
पीएम मोदी के चुनावी रैलियों पर भी उठाये सवाल
पी. चिदंबरम ने साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी रैलियों में होने वाले खर्चे को लेकर भी सवाल उठाया है। चिदंबरम ने लिखा कि हर रैली में जो पंडाल लगाये जाते हैं वह किसी संपन्न परिवार में होने वाली शादी से भी बेहतर होते हैं। कई एलईडी स्क्रीन होते हैं। इसके पैसे जो बेतहाशा पैसे खर्च होते हैं, उसका स्रोत क्या है?
साथ ही चिदंबरम ने पूछा कि पीएम की जो भी रैलियां होती हैं, उसका खर्चा क्या उन उम्मीदवार या उम्मीदवारों के चुनावी कैंपेन के खर्चे में जोड़ा जाता है, जिसके लिए वे प्रचार करते हैं?
मध्य प्रदेश में आयकर के छापे से खलबली
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से जुड़े करीबी लोगों के 50 से अधिक ठिकानों पर रविवार तड़के से आयकर की छापेमारी जारी है। जिन लोगों पर छापेमारी की गई उनमें कमलनाथ के पूर्व विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) प्रवीण कक्कड़, पूर्व सलाहकार राजेंद्र मिगलानी और उनके रिश्तेदार से जुड़ी कंपनी मोजर बेयर तथा उनके भांजे रातुल पुरी की कंपनी शामिल है। सूत्रों ने बताया कि यह छापेमारी लोकसभा चुनाव के आलोक में संदिग्ध हवाला धन की आवाजाही और कर चोरी के मामले में की गई है।
इस छापेमारी के बाद राजनीतिक पारा गरमाया हुआ है। आयकर विभाग की छापामारी के दौरान आमतौर पर स्थानीय पुलिस की मदद ली जाती है, लेकिन इंदौर में मारे गए छापों के दौरान सीआरपीएफ के हथियारबंद जवानों की भी तैनाती देखी गई। इसके बाद सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस एक समय आमने-सामने आ गई थी, और दोनों पक्षों के बीच बहस भी हुई।